वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने केंद्रीय बजट में भविष्य की प्राथमिकताओं के साथ अगले 25 साल के लिए आर्थिक वृद्धि की उम्मीदें पेश की हैं। उन्होंने इन 25 साल को अमृत काल बताते हुए 39.45 लाख करोड़ रुपए का बजट पेश किया। बजट में बुनियादी ढांचा खर्च पर अच्छा-खासा जोर है। केंद्र सरकार अपने खर्च को पूरा करने के लिए बाजार से लगभग 11.6 लाख करोड़ रुपए का कर्ज लेगी। चालू वर्ष के दौरान कुल खर्च 39.45 लाख करोड़ रुपए होने का अनुमान है, जबकि कुल आय 22.84 लाख करोड़ रुपए रहेगी।

आयकर राहत के नाम पर टस से मस नहीं

बजट में आयकर दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया है और मानक कटौती को भी यथावत रखा गया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिए व्यक्तिगत आयकर दरों में कोई बदलाव नहीं किया है। कोविड महामारी के बीच मानक कटौती (स्टैंडर्ड डिडक्शन) की सीमा में बढ़ोतरी की मध्यम वर्ग की उम्मीदें भी बजट में पूरी नहीं हुई हैं। फिलहाल मानक कटौती की सीमा 50,000 रुपए है।

महामारी के बीच आम आदमी उम्मीद कर रहा था कि वित्त मंत्री मानक कटौती की सीमा एक लाख रुपए तक करेंगी, जिससे महामारी के बीच उनके हाथ में नकदी बढ़ेगी। इसके अलावा गृह संपत्ति से ब्याज की कटौती दो लाख रुपए से बढ़ाकर तीन लाख रुपए किए जाने की उम्मीद भी थी, लेकिन इस मोर्चे पर भी कोई राहत नहीं दी गई है।

हालांकि, करदाताओं को बड़ी राहत के तौर पर दो साल में अपने रिटर्न को अपडेट करने की अनुमति दी है। अगर किसी करदाता ने अपनी सालाना आय की घोषणा में कोई गलती की है तो वह इसे दो साल में सुधार सकता है। इसके लिए उसे अपना ‘रिटर्न अपडेट’ करना होगा। इससे मुकदमेबाजी कम होगी। ‘रिटर्न अपडेट’ करते हुए उन्हें आवश्यक कर का भुगतान करना होगा। माता-पिता या अभिभावक दिव्यांगों के लिए बीमा योजना ले सकेंगे।

मौजूदा कानून के तहत माता-पिता या अभिभावक की मौत पर मिलने वाली एकमुश्त राशि पर ही टैक्स छूट का प्रावधान है। ऐसी भी परिस्थिति बन सकती है कि दिव्यांग व्यक्ति को अपने माता-पिता या अभिभावक के जीवित होने पर भी एकमुश्त राशि मिले और उस पर कर से छूट की आवश्यकता पड़े। नए प्रावधान के अनुसार माता-पिता या अभिभावक के 60 साल के होने तक दिव्यांग को कर में राहत मिलेगी।