महिला सुरक्षा के मामले में केंद्र सरकार के बजट में प्रस्ताव तो पास हो जाता है लेकिन उसे खर्च करने के दिशानिर्देश और कमेटियों का सुझाव इतना उलझा हुआ है कि इस रकम को खर्च करना टेढ़ी खीर की तरह हो जाता है। इसलिए केंद्र सरकार ने 2020-21 के बजट में दिल्ली पुलिस के लिए महिला सुरक्षा (निर्भया फंड) के मामले में बहुत ज्यादा बढ़ोतरी नहीं की। इसके साथ ही सालों से जर्जर इमारत की मरम्मति, एक ही इमारत में दो थाने और कई थाने की बिल्डिंग में ही एसीपी दफ्तर चलाने की व्यवस्था और बैरकों को दुरुस्त करने मसलन ईओआर (एक्स्ट्रा आर्डिनरी रिपेयर) में रकम बढ़ाने के बजाए दिल्ली पुलिस के आधारभूत संरचना में भी केंद्रीय बजट में जो प्रस्ताव रखा गया उसमें बढ़ोतरी की बजाए रकम कम कर दी गई है।
2020-21 के लिए आम बजट में अन्य सुरक्षा बलों की तरह ही दिल्ली पुलिस को भी बहुत ज्यादा तवज्जो नहीं मिली। बीते साल के संशोधित बजट में जहां दिल्ली पुलिस को 8083.88 करोड़ का बजट पास हुआ था वहीं, इस साल 2020-2021 के लिए इसे 8242.46 करोड़ रुपए की मामूली रकम का प्रस्ताव रखा गया। पिछले तीन सालों की तुलना में देखा जाए तो दिल्ली पुलिस के लिए यह बहुत ज्यादा खुश होने वाली नहीं है। क्योंकि 2019-20 में भी यह रकम 7496.91 करोड़ ही थी।
16 दिसंबर, 2012 को हुए बलात्कार मामले के बाद दिल्ली में महिला सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए एक फंड का प्रस्ताव पास हुआ जिसे निर्भया फंड का नाम दिया गया। तर्क दिया गया कि सुरक्षा के अन्य मदों से अलग निर्भया फंड सिर्फ महिलाओं की सुरक्षा और संरक्षा से जोड़कर मुख्य रूप से महिलाओं की सुरक्षा के बाबत रखा गया। लेकिन दुर्भाग्य देखिए कि 2019-20 के बजट प्रस्ताव में निर्भया फंड को 11.09 करोड़ रखा गया तो इस साल इसे मामूली रूप से बढ़ाकर 11.23 करोड़ प्रस्तावित किया गया।
