केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (FINANCE MINISTER NIRMALA SITHARAMAN) वित्त वर्ष 2025-26 के लिए 1 फरवरी को बजट (BUDGET 2025) पेश करने वाली हैं। विशेषज्ञों ने इस वर्ष भी नौकरियों को बढ़ावा देने के उपायों पर मुख्य ध्यान देने का संकेत दिया है। 2024 में बजट का फोकस औपचारिक रोजगार बढ़ाने और युवाओं को कौशल प्रदान करने के लिए सरकार के प्रमुख कदम थे। वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा था कि FY25 के लिए शिक्षा, रोजगार और कौशल के लिए 1.48 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।
एचएसबीसी के अनुसार इन चार तरीकों से बजट 2025 नौकरियां पैदा कर सकता है।
टैक्स रेशनलाइजेशन (Tax Rationalisation)
खपत को बढ़ावा देने के लिए पर्सनल इनकम टैक्स को कम करने की मांग की गई है। एचएसबीसी का मानना है कि यह उपाय ऐसे समय में मुश्किल होगा जब टैक्स वृद्धि नरम हो रही है और आबादी के केवल एक छोटे हिस्से को प्रभावित करेगी। एचएसबीसी का मानना है कि सरकार को अवसरवादी होना चाहिए और एनर्जी टैक्स (यानी तेल उपकर) में कटौती करनी चाहिए, खासकर जब ग्लोबल कमोडिटी की कीमतें गिरावट की ओर हैं। इससे बड़ी संख्या में लोगों और व्यावसायिक गतिविधियों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा और महंगाई भी कम होगी।
निर्यात को बढ़ावा मिले (Exports Push)
एचएसबीसी ने स्पष्ट किया है कि दुनिया भर में व्याप्त टैरिफ के डर के कारण अमेरिका के साथ बड़े व्यापार वाली अर्थव्यवस्थाओं पर हाई टैरिफ लगाए जाने पर आपूर्ति श्रृंखला एक बार फिर से बदल सकती हैं। यह भारत के लिए एक अवसर हो सकता है। लेकिन इसके लिए एक सावधानीपूर्वक सोची-समझी निर्यात रणनीति की आवश्यकता होगी, जिसमें कम इम्पोर्ट टैरिफ स्ट्रक्चर, अधिक द्विपक्षीय मुक्त व्यापार समझौते, आसान एफडीआई अप्रूवल और व्यापार करने में आसानी में सुधार शामिल होगा।
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पब्लिक कैपेक्स कोआर्डिनेशन (Public Capex Coordination)
एचएसबीसी ने कहा कि न केवल पूंजीगत व्यय को बढ़ावा देने की जरूरत है बल्कि इसे और अधिक विविध बनाने की भी जरूरत है। वर्तमान में सार्वजनिक पूंजीगत व्यय (पब्लिक कैपेक्स कोआर्डिनेशन) का 50% केवल दो क्षेत्रों-सड़कों और रेलवे में जाता है। शहरी परिवहन, जलमार्ग आदि जैसे क्षेत्रों में विस्तार के लिए केंद्र, राज्य और पीएसई पूंजीगत व्यय के बीच बेहतर समन्वय आवश्यक हो सकता है।
रोजगार से जुड़े लाभों की समीक्षा (Employment-linked Benefits Review)
जुलाई 2025 के बजट में कौशल और औपचारिक रोजगार को बढ़ावा देने के लिए कई घोषणाएं (पांच वर्षों की अवधि में 41 मिलियन युवाओं के लिए रोजगार, कौशल और अन्य अवसरों की सुविधा के लिए ₹2 लाख करोड़) हुई थी। । एचएसबीसी ने कहा कि छह महीने हो गए हैं और अब इनकी समीक्षा की जा सकती है और इन्हें बढ़ाया जा सकता है।