वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी, 2025 को केंद्रीय बजट 2025-26 पेश करेंगी। टैक्स विशेषज्ञों और टैक्सपेयर्स को उम्मीद है कि सरकार लोअर क्लास और मिडिल क्लास के टैक्सपेयर्स को महंगाई से कुछ राहत देने के लिए कुछ महत्वपूर्ण टैक्स कटौती की घोषणा करेगी। पिछले केंद्रीय बजट 2024-25 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने नई टैक्स व्यवस्था के तहत टैक्सपेयर्स के लिए कुछ और लाभों की घोषणा की थी।

नई टैक्स व्यवस्था को मिलेगा पुश

नई टैक्स व्यवस्था हाई टैक्स फ्री इनकम, कम कटौती और एक सिम्पलीफाइड फाइलिंग प्रक्रिया प्रदान करती है। न्यूनतम कटौती और छूट के साथ टैक्सपेयर्स को अब दावों के लिए सबूत देने का बोझ नहीं उठाना पड़ता है। टैक्स फ्री इनकम 7.75 लाख रुपये निर्धारित की गई है।

आकलन वर्ष 2024-25 के लिए, 9 करोड़ आयकर रिटर्न में से लगभग 72% नई टैक्स व्यवस्था के तहत दाखिल किए गए थे। इनमें से 70% से अधिक ने 5 लाख रुपये या उससे कम की टैक्स वाली इनकम की सूचना दी। इसके अतिरिक्त 88% फाइलर्स ने 10 लाख रुपये से कम की आय की सूचना दी थी, जबकि 94% ने 15 लाख रुपये से कम की आय की सूचना दी थी। इसलिए डेटा से पता चलता है कि 10 में से 9 टैक्सपेयर या तो नो-टैक्स या कम-टैक्स ब्रैकेट में हैं।

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10 लाख रुपये तक मिल सकता टैक्स छूट

केंद्रीय बजट 2025-26 से पहले, नई टैक्सपेयर्स व्यवस्था के तहत छूट सीमा को बढ़ाकर 10 लाख रुपये करने की संभावना जोर पकड़ रही है। विशेषज्ञ इस बात पर सहमत हैं कि इस तरह के उपाय न केवल मध्यम वर्ग के टैक्सपेयर्स को वित्तीय राहत प्रदान कर सकते हैं, बल्कि मांग और खपत को भी बढ़ावा दे सकते हैं। इस प्रक्रिया में आर्थिक विकास में मदद मिलेगी। हालांकि सरकार बजट 2025 में यह कदम उठाएगी या नहीं, यह देखना बाकी है।

टैक्सपेयर्स को और बढ़ाना सरकार का लक्ष्य

सरकार का लक्ष्य वर्तमान में नई टैक्स व्यवस्था के तहत टैक्सपेयर्स को और बढ़ाना है। ऐसे में एक प्रमुख सुझाव है कि छूट सीमा को बढ़ाकर 10 लाख रुपये कर दिया जाए है, जिसका अर्थ है कि सालाना 10 लाख रुपये तक की आय वाले व्यक्तियों को कोई आयकर नहीं देना होगा।

25% के नए टैक्स स्लैब की घोषणा

Colliers India के रिसर्च डायरेक्टर विमल नाडर ने बताया कि 15 लाख से 20 लाख रुपये के बीच की इनकम के लिए 25% का अतिरिक्त टैक्स स्लैब पेश करने का प्रस्ताव निश्चित रूप से राहत प्रदान करेगा और डिस्पोजेबल इनकम में वृद्धि करेगा। विमल नाडर के अनुसार व्यक्तियों के हाथों में बढ़ी हुई लिक्विडिटी खपत को बढ़ावा देने की अधिक क्षमता रखती है। उन्होंने कहा, “10 लाख रुपये तक की आयकर छूट का प्रस्ताव निश्चित रूप से मध्यम वर्ग के वेतनभोगी व्यक्तियों के हाथों में लिक्विडिटी बढ़ाएगा।”