वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज केंद्रीय बजट 2025-26 पेश करेंगी। ऐसे में सभी की निगाहें आम आदमी की चिंताओं से निपटने के लिए सरकार के दृष्टिकोण पर टिकी हैं। बढ़ती महंगाई, नौकरी की अनिश्चितताओं और डायरेक्ट टैक्स के बोझ के साथ आम आदमी खाद्य, आवास, शिक्षा और रोजगार जैसे प्रमुख क्षेत्रों में राहत की उम्मीद कर रहा है। आर्थिक मंदी और आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं पर हाई जीएसटी दरों ने मध्यम और निम्न आय वाले परिवारों के लिए जीवन को और भी कठिन बना दिया है।

तत्काल राहत के अलावा दीर्घकालिक सुधारों की भी बढ़ती आवश्यकता है। चूंकि भारत अपने वर्कफोर्स को मजबूत करने और ग्लोबल प्लेटफॉर्म पर प्रतिस्पर्धा करने का प्रयास कर रहा है, इसलिए कौशल विकास, रोजगार सृजन और टैक्स रेशनलाइजेशन को बढ़ावा देने वाली नीतियां महत्वपूर्ण होंगी। यह बजट न केवल वित्तीय बोझ को कम करने की क्षमता रखता है, बल्कि अधिक समावेशी और विकास-संचालित अर्थव्यवस्था के लिए आधार तैयार करने की भी क्षमता रखता है। अब बड़ा सवाल है कि क्या यह उम्मीदों पर खरा उतरेगा?

मूलभूत सुविधाओं में राहत चाहता आम आदमी

टैक्सफ्लिक डॉट कॉम के सीएफओ गौरव शर्मा कहते हैं कि इस समय आम जनता को भोजन, कपड़े और मकान जैसी आवश्यक जरूरतों के लिए राहत की उम्मीद है। खाद्य पदार्थों, खासकर सब्जियों की कीमतों में हाल ही में हुई बढ़ोतरी ने निश्चित आय वाले परिवारों को प्रतिकूल रूप से प्रभावित किया है, जिनकी कंजंप्शन पावर रोजगार के अवसरों की कमी के कारण कम हो गई है। चूंकि नौकरी बाजार में गिरावट जारी है, इसलिए कई परिवारों को अपनी कुल खपत में कटौती करने के लिए मजबूर होना पड़ा है।

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बढ़ती कीमतें बड़ी समस्या

गौरव शर्मा ने कहा, “सब्जियों, खाना पकाने के तेल और दूध की बढ़ती कीमतों के लिए प्रतिकूल मौसम की स्थिति को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। साथ ही सरकार द्वारा खाना पकाने के तेल पर लगाए गए शुल्कों ने आम नागरिकों के सामने आने वाली चुनौतियों को और बढ़ा दिया है। फास्ट-मूविंग कंज्यूमर गुड्स (FMCG) पर वस्तु एवं सेवा कर (GST) पर पुनर्विचार करना और इसे न्यूनतम दर पर कम करना जरूरी है।”

शिक्षा पर ध्यान देने की जरूरत

बुनियादी जरूरतों के अलावा, शिक्षा आम आदमी के लिए दूसरी प्राथमिकता है, जिस पर भी बजट में ध्यान दिया जाना चाहिए। शैक्षिक सामग्री और स्टेशनरी पर GST को कम से कम किया जाना चाहिए। कौशल आधारित शिक्षा पर अधिक जोर दिया जाना चाहिए, साथ ही तकनीकी कौशल को बढ़ाने पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए। चीन के डीपसीक एआई टूल जैसी तकनीकों का राइस भारत में अधिक कौशल विकास अवसरों की तत्काल आवश्यकता को दर्शाता है, जो वर्तमान में तकनीकी प्रगति में पिछड़ा हुआ है।

टैक्स स्लैब में बदलाव

टैक्स में सुधार भी आम लोगों के लिए प्राथमिकता बने हुए हैं जो देश के टैक्सपेयर्स भी हैं। पिछले कुछ वर्षों में टैक्स स्लैब को संशोधित करने की उम्मीदें काफी बढ़ गई हैं। आम आदमी बुनियादी छूट सीमा में वृद्धि की उम्मीद करता है, जो मध्यम वर्ग के परिवारों को तत्काल राहत प्रदान करेगा। कुछ कटौती जो डिस्पोजेबल आय और निवेश में वृद्धि को प्रोत्साहित कर सकती हैं, वह एक अच्छा संकेत होगा।

फिनट्राम ग्लोबल में मैनेजिंग पार्टनर पंकज ढींगरा ने कहा, “बजट 2025 सभी के लिए टैक्स फाइलिंग को अधिक सुलभ और पारदर्शी बनाने का अवसर प्रस्तुत करता है। एआई-आधारित आयकर प्रणालियों का लाभ उठाने से न केवल प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित किया जा सकता है, बल्कि निष्पक्षता और जवाबदेही सुनिश्चित करते हुए धोखाधड़ी की प्रथाओं को कुशलतापूर्वक पहचानने में भी मदद मिल सकती है। पुराने टैक्स स्लैब को संशोधित करना और 80 सी कटौती को बढ़ाना करदाताओं को बहुत ज़रूरी राहत प्रदान करेगा। इसके बाद उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए, स्टार्टअप और युवा उद्यमियों के लिए टैक्स और अन्य लाभ शुरू करना आम आदमी के लिए इनोवेशन और रोजगार सृजन के लिए आवश्यक प्रोत्साहन प्रदान कर सकता है। इसके अलावा शिक्षा पर जीएसटी को घटाकर 5% करने से सीखना और कौशल हासिल करना अधिक किफायती हो जाएगा, जिससे छात्रों को अपने भविष्य में निवेश करने का अधिकार मिलेगा। अगर सोच-समझकर लागू किया जाए, तो ये उपाय सभी के लिए एक सरलीकृत और समावेशी ढांचा तैयार कर सकते हैं।”