देश के बजट का इंतजार हर कोई अलग-अलग कारणों की वजह से आस लगाकर इंतजार करता रहता है। किसी को इनकम टैक्स में कमी की उम्मीद रहती है, किसी को नई सड़क बनने की आस दिखती है। अब बजट सिर्फ इन ऐलानों तक सीमित नहीं रहता है, इसकी शब्दावली ऐसी रहती है जिसे समझना कई बार मुश्किल साबित हो जाता है। ऐसे में आपको कुछ ऐसे ही बजट से जुड़े शब्दों की जानकारी दे रहे हैं जिससे इस बार का बजट समझना आपके लिए बाए हाथ का खेल रहे-
फाइनेंस बिल
सरकार को जो भी कमाई होती है, उसका सारा ब्योरा इस फाइनेंस बिल के जरिए देश की जनता को दिया जाता है।
एप्रोप्रिएयन बिल
सरकार का जो भी खर्च रहता है, उसका सारा ब्योरा इस एप्रोप्रिएशन बिल के जरिए देश की जनता को दिया जाता है।
बजट एस्टिमेट
सरकार के पास अपने खर्च और कमाई का एक अनुमान हमेशा रहता है। ऐसे में जब भी सरकार उस अनुमान के बारे में बजट में बताती है, उसे बजट एस्टिमेट कहते हैं।
राजकोषीय घाटा
जब सरकार की कमाई उसके खर्च से कम हो जाती है, माना जाता है कि वो नुकसान में चल रही है। इसी आम बोलचाल वाली बात को बजट की भाषा में राजकोषीय घाटा कहा जाता है।
राजस्व घाटा
सरकार कितना कमाने वाली है, इसका एक अनुमान भी पहले से रेडी रहता है। ऐसे में अगर वो अनुमान से कमा पाती है, उस स्थिति में उसे राजस्व घाटा कहा जाता है।
डायरेक्ट टैक्स
जो भी टैक्स सरकार सीधे जनता से लेती है, उसे डायरेक्टर टैक्स कहा जाता है। इसमें इनकम टैक्स, प्रॉपर्टी टैक्स, कॉरपोरेट टैक्स को शामिल किया जा सकता है।
इनडायरेक्ट टैक्स
जिस टैक्स को जनता परोक्ष रूप से सरकार को देती है, उसे इडायरेक्ट टैक्स कहा जाता है। इसमें कस्टम ड्यूटी, सर्विट टैक्स को शामिल किया जा सकता है।
विनिवेश
सरकारी कंपनियों की अगर हिस्सेदारी को केंद्र सरकार बेचने का फैसला करती है तो इसे बजट की भाषा में विनिवेश या फिर अंग्रेजी में डिस इनवेस्टमेंट कहते हैं।