केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी 2024 को वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए अंतरिम बजट पेश करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। अगले साल की शुरुआत में होने वाले 2024 के लोकसभा चुनावों के कारण बजट में कोई बड़ी घोषणा नहीं होगी। वित्त वर्ष 2024-25 का पूर्ण बजट आम चुनाव के बाद नई सरकार के गठन के बाद पेश किया जाएगा। बजट आने वाले वित्तीय वर्ष के लिए आवंटित किया जाता है, जो अगले वर्ष 1 अप्रैल से 31 मार्च तक चलता है।

दिलचस्प बात यह है कि कुछ साल पहले तक बजट हर साल फरवरी के अंत में पेश किया जाता था। बजट पेश करने की तारीख 2017 में बदल दी गई थी, और तब से बजट दस्तावेज़ महीने के अंत के बजाय 1 फरवरी को वित्त मंत्री द्वारा पेश किया जाता है। 2017 में तत्कालीन केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने घोषणा की कि बजट अब फरवरी के आखिरी दिन पर पेश नहीं किया जाएगा जैसा कि औपनिवेशिक युग में हुआ करता था। लेकिन सरकार ने बजट पेश करने की तारीख बदलने का फैसला क्यों किया? इस बदलाव के पीछे औपनिवेशिक युग की परंपरा होने के अलावा एक और कारण था।

दरअसल फरवरी की आखिरी तारीख को बजट पेश होने के कारण अगले महीने यानी 1 अप्रैल से शुरू होने वाले अगले वित्तीय वर्ष के लिए बजट के प्रावधानों को लागू करना मुश्किल हो रहा था। इस समस्या से निपटने के लिए अरुण जेटली ने बजट पेश करने की तारीख बदलने का सुझाव दिया है और 2017 में बजट महीने के अंत के बजाय फरवरी की शुरुआत में पेश किया गया था।

इतना ही नहीं वित्त मंत्री अरुण जेटली ने रेलवे के लिए अलग से बजट पेश करने की सदियों पुरानी ब्रिटिश परंपरा को भी खत्म कर दिया। उन्होंने 2017 में रेलवे बजट को केंद्रीय बजट के साथ पेश किया। 1999 तक बजट फरवरी की आखिरी तारीख को शाम 5 बजे पेश किया जाता था। यह ब्रिटिश-भारत की परंपरा थी जिसे आज़ादी के बाद भी नहीं बदला गया। औपनिवेशिक काल के दौरान बजट पेश करने का समय ब्रिटेन के स्थानीय समय के आधार पर तय किया गया था। ब्रिटेन में बजट सुबह 11 बजे (स्थानीय समय) पेश किया जाता था, जो भारत में शाम 5 बजे होता था।

बाद में 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के दौरान तत्कालीन वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने सुझाव दिया कि केंद्रीय बजट सुबह 11 बजे पेश किया जाना चाहिए। परिवर्तन के पीछे विचार यह था कि इससे आंकड़ों के बेहतर विश्लेषण के लिए पर्याप्त समय मिलेगा, जिससे अधिक बहस और चर्चा होगी। इसके बाद स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार यशवंत सिन्हा ने 1999 का केंद्रीय बजट सुबह 11 बजे पेश किया और तब से हर साल केंद्रीय बजट सुबह 11 बजे पेश किया जाता है।