भारत के ईज ऑफ डूइंग बिजनेस इंडेक्स में सुधार की तमाम बातें सरकार करती रही है, लेकिन अब भी देश में कोई इंडस्ट्री लगाना बहुत आसान नहीं है। अब भी किसी मैन्युफैक्चरिंग कंपनी को यूनिट स्थापित करने के लिए करीब 2,000 अनुमतियां लेने की जरूरत होती है। औद्योगिक समूहों के संगठन फिक्की ने इस समस्या को दूर करने के लिए मोदी सरकार से नियमों में ढील देने की मांग की है।
आम बजट से पहले फिक्की ने सरकार को यह अहम सुझाव दिए हैं। केंद्र एवं राज्य सरकारों से किसी मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री को लगाने के लिए 1,984 मंजूरियां लेनी पड़ जाती हैं। ये सभी अनुमतियां केंद्र और राज्य सरकारों के 122 कानूनों के तहत लेनी होती हैं। इनमें पर्यावरण, श्रम कानून, जीएसटी और कंपनीज ऐक्ट शामिल हैं।
ईज ऑफ डूइंग बिजनस में भारत से आगे है चीन: बता दें कि ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के मामले में भारत फिलहाल 63वें स्थान पर है। हालांकि भारत का पड़ोसी देश चीन इस मामले में काफी आगे है और रैंकिंग में 31वें स्थान पर है। यहां तक कि कड़े नियमों और राजशाही के लिए चर्चित सऊदी अरब भी भारत से एक पायदान ऊपर है। यही नहीं केन्या, अचरबैजान, कजाखिस्तान और थाईलैंड जैसे देश भी काफी आगे हैं।
ऐसे आगे बढ़ पाएगी ‘मेक इन इंडिया’ स्कीम: भारत को मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने के लिहाज से भी कानूनों की इतनी बड़ी संख्या और इतनी ज्यादा मंजूरियां चिंताजनक हैं। मेक इन इंडिया के तहत बड़े पैमाने पर भारत में ही मैन्युफैक्चरिंग की बात की गई है। ऐसे में यदि कानूनों की संख्या बहुत अधिक है तो फिर मेक इन इंडिया स्कीम के परवान चढ़ने पर संशय पैदा होता है।