Union Budget 2019-20 India: हर देश की आर्थिक व्‍यवस्‍था को सुचारू रखने के लिए वित्‍तीय तंत्र का व्‍यवस्थित रहना बेहद जरूरी है। प्रतिवर्ष खासकर सरकारी आय और व्‍यय का लेखाजोखा तय होना और फिर उसके अनुसार ही आर्थिक गतिविधियों का संचालन सुनिश्चित करना जरूरी हो जाता है। इसे देखते हुए भारत समेत दुनिया के सभी देशों में सालाना वित्‍तीय लेखाजोखा या बजट पेश किया जाता है। भारत में बजट का इतिहास 150 साल से भी ज्‍यादा पुराना है। भारत में सबसे पहले ईस्‍ट इंडिया कंपनी ने ब्रिटिश क्राउन के लिए 7 अप्रैल, 1860 को बजट पेश किया था। भारत के लिए सबसे पहला बजट 18 फरवरी, 1869 को जेम्‍स विल्‍सन ने पेश किया था। विल्‍सन उस वक्‍त इंडिया काउंसिल के सदस्‍य (वित्‍त) थे। उनका प्रमुख काम वित्‍तीय मामलों में वायसराय को सलाह देना था। विल्‍सन स्‍कॉटलैंड के जानेमाने व्‍यवसायी, अर्थशास्‍त्री और उदारवादी धड़े के राजनेता थे। विल्‍सन प्रतिष्ठित पत्रिका ‘द इकोनोमिस्‍ट’ और स्‍टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक के संस्‍थापक भी थे। आजाद भारत का पहला बजट: आजाद भारत का पहला बजट: बजट को लेकर अंग्रेजों द्वारा दशकों पूर्व अमल में लाई गई परंपरा का आजादी के बाद भी अुनसरण किया गया। आरके. षणमुखम शेट्टी ने आजादी के बाद 1947 में संयुक्‍त भारत का पहला बजट पेश किया था। इसमें 204.59 करोड़ रुपए का वित्‍तीय घाटा दिखाया गया था, जबकि कुल राजस्‍व का आकलन महज 171.15 रुपए ही था।

Budget 2019 India LIVE Updates

पहले शाम को पेश किया जाता था बजट: भारत में पेश किए जाने वाले बजट में काफी हद तक ब्रिटिश प्रक्रिया का पालन किया जाता है। यहां तक कि बजट पेश करने का समय भी ब्रिटिश बजट के अनुसार ही रखा गया था। अटल‍ बिहारी वाजपेयी के शासनकाल में उस वक्‍त के वित्‍त मंत्री यशवंत सिन्‍हा ने वर्ष 1999 में दशकों से चली आ रही परंपरा को तोड़ा और बजट को शाम 5:30 के बजाय सुबह तकरीबन 11 बजे से पेश करने की घोषणा की थी। बता दें कि ब्रिटेन में भी दोपहर को ही बजट पेश किया जाता है, लेकिन भारत का समय ब्रिटेन से साढ़े पांच घंटा आगे होने के कारण ब्रिटिश भारत में बजट शाम को पेश किया जाता था। आजादी के बाद भी इसे जारी रखा गया था।

दो हिस्‍सों में पेश किया जाता है आम बजट: आमतौर पर आम बजट को दो हिस्‍सों में पेश किया जाता है। पहले भाग में सामान्‍य आर्थिक पहलुओं को शामिल किया जाता है। इसमें विभिन्‍न परियोजनाओं के संचालन या नए प्रोजेक्‍ट्स आदि के बारे में विस्‍तार से जानकारी दी जाती है। वहीं, दूसरे हिस्‍से में कर प्रणाली को शामिल किया जाता है। इसके तहत मौजूदा कर ढांचे में बदलाव या कर में वृद्धि या कटौती के प्रावधान को शामिल किया जाता है।