वित्त मंत्री अरुण जेटली अपना तीसरा चुनौतीपूर्ण बजट पेश करेंगे। माना जा रहा है कि वित्त मंत्री के समक्ष कृषि क्षेत्र और उद्योग जगत की जरूरतों के बीच संतुलन बैठाने की कड़ी चुनौती होगी। उनके समक्ष इसके अलावा वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुस्ती के बीच सार्वजनिक खर्च के लिए संसाधन जुटाने का भी लक्ष्य होगा। उम्मीद की जा रही है कि बजट 2016 विकास को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। इस बजट से ही आने वाले के लिए इकॉनॉमी का खाका सामने आएगा। यह देखने वाली बात होगी कि जेटली अपनी जेब ढीली करते हैं या फिर मजबूती की राह पर ही कायम रहते हैं। यदि सरकार खर्च बढ़ाने का फैसला करती है, तो यह सुनिश्चित करने की चुनौती होगी कि वह कैसे धन को पूंजीगत निवेश में ला पाती है।
जानिए बजट 2016 से क्या उम्मीद की जा सकती है:
आम लोगों को उम्मीद होगी कि इनकम टैक्स का दायरा 2.50 लाख से बढ़ाकर तीन लाख किया जाए। हालांकि जानकारों का मानना है कि ऐसा शायद ही हो। हां, कुछ क्षेत्रों में छूट बढ़ाई जा सकती है।
वर्किंग महिलाओं का भी इनकम टैक्स का दायरा चार लाख रुपये सालाना किया जा सकता है।
सेक्शन 80सी के तहत छूट का दायरा डेढ़ लाख रुपये से बढ़ाकर 2 लाख रुपये किया जा सकता है।
आईटी और दूरसंचार हार्डवेयर बनाने वाली कंपनियों को उम्मीद है कि बजट में घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए मोबाइल फोन पर दी गई भिन्न शुल्क ढांचा व्यवस्था को 10 साल के लिये आगे बढ़ाया जाए। साथ ही इसमें पर्सनल कंप्यूटर को भी लाया जाए।
कार्पोरेट टैक्स में मिलने वाली छूट के दायरे को खत्म किया जा सकता है।
बढ़े हुए खर्च को पूरा करने के लिए फाइनेंस मिनिस्टर या तो अप्रत्यक्ष कर की दरों में इजाफा कर सकते हैं या फिर वह नए टैक्स लागू कर सकते हैं।
देश में लगातार पड़ रहे सूखे के चलते ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को मदद देने के लिए सामाजिक योजनाओं की राशि बढ़ाई जा सकती है।
सातवें वेतन आयोग के चलते राजकोष पर पड़ने वाले 1.02 लाख करोड़ रुपये के भार को देखते हुए कुछ कठोर कदम उठाए जा सकते हैं।
अप्रत्यक्ष करों और सर्विस टैक्स की दर में बढ़ोत्तरी संभावित है।
सरकार की कई योजनाओं को फंड करने के लिए नए सैस लगाए जा सकते हैं।
सुपर रिच लोगों पर टैक्स बढ़ाया जा सकता है।
ग्रीन टी, सिगरेट, चीज, पैकेज्ड ज्यूस और पास्ता जैसे उत्पाद महंगे हो सकते हैं।
एल्कोहल और तंबाकू उत्पादों पर सिन टैक्स या हैल्थ सैस लगाने का एलान हो सकता है।
मेक इन इंडिया कार्यक्रम को बढ़ावा देने के लिए घरेलू उद्योगों को राहत का एलान संभव।
उद्योग जगत को कर सरलीकरण का तोहफा दिया जा सकता है।
सुधारों के मोर्चे पर वित्त मंत्री कुछ अन्य क्षेत्रों को विदेशी निवेश के लिए खोलने का एलान कर सकते हैं।
कच्चे तेल की कीमतों में भारी गिरावट और अगले एक साल में इनमें बढ़ोतरी की कम संभावना के मद्देनजर सरकार आयातित कच्चे तेल पर सीमा शुल्क को फिर लागू कर सकती है।
पिछले साल के दौरान सोने का आयात बढ़ा है ऐसे में सरकार सोने पर आयात शुल्क बढ़ा सकती है।