सरकार ने बीते दिनों सरकारी टेलिकॉम कंपनी बीएसएनएल को भारतीय कंपनियों ने ही उपकरण खरीदने की सलाह दी थी। लेकिन बीएसएनएल ने इस पॉलिसी को लेकर अपनी असहमति जताई है। टेलिकॉम कंपनी ने दूरसंचार विभाग से मेक इन इंडिया स्कीम को लेकर कहा है कि घरेलू कंपनियां काफी ज्यादा रेट चार्ज करती हैं। बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक कंपनी का कहना है कि विदेशी कंपनियों से तुलना करें तो घरेलू फर्म 89 फीसदी तक ज्यादा चार्ज वसूलती हैं। सरकारी टेलिकॉम कंपनी का कहना है कि घरेलू कंपनियां रेट के मामले में प्रतिस्पर्धी नहीं हैं। यही नहीं कंपनी ने बीते 5 सालों में अपनी कमजोर परफॉर्मेंस के लिए भी घरेलू कंपनियों से उपकरण की खरीद को जिम्मेदार ठहराया है।
कंपनी का कहना है कि उसे घरेलू कॉन्ट्रैक्टर्स ने 49 से 89 पर्सेंट तक अधिक कीमत पर उपकरण दिए हैं। बता दें कि केंद्र सरकार ने बीएसएनएल को निर्देश दिया था कि वह अपग्रेड के लिए चीनी उपकरणों का इस्तेमाल न करे, जिसकी लागत 7,000-8,000 करोड़ रुपये है। DoT भारत में निर्मित उपकरणों के उपयोग को प्रोत्साहित करने के लिए निजी दूरसंचार सेवा प्रदाताओं के साथ परामर्श कर रहा है।
हालांकि बीएसएनएल ने तब भी सरकार की इस राय से असहमति जताई थी और कहा था कि इससे उसके लिए लागत बढ़ जाएगी। कंपनी का कहना था कि वह पहले ही आर्थिक संकट का सामना कर रही है और ऐसे में चीनी कंपनियों से उपकरण की खरीद को रोकना परेशानी को और बढ़ा सकता है।
बता दें कि हाल ही में सरकार ने राज्यसभा में एक जानकारी साझा की थी कि बीएसएनएल द्वारा उपयोग किए जाने वाले 50 प्रतिशत से अधिक मोबाइल नेटवर्क उपकरण चीनी कंपनियों के हैं। वहीं, MTNL के मोबाइल नेटवर्क में 10 प्रतिशत उपकरण या कह लीजिए इक्विपमेंट चीनी कंपनियों के हैं।
इस बात की जानकारी केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी के राज्य मंत्री संजय धोत्रे (Sanjay Dhotre) ने राज्यसभा में दी थी। उन्होंने बताया की BSNL के मोबाइल नेटवर्क में 44.4 प्रतिशत उपकरण ZTE और 9.0 प्रतिशत उपकरण Huawei कंपनी के लगे हैं।