आईटी सेक्टर में परफॉर्मेंस के आधार पर नौकरियां का जाना असामान्य नहीं रहा है, लेकिन कोरोना संकट के दौर में छंटनी में तेजी देखने को मिल सकती है। आईटी और आईटी अनेबल्ड सर्विसेज के आंतरिक जानकारों के मुताबिक आने वाले दिनों में 2 लाख कर्मचारियों के आगे छंटनी का खतरा पैदा हो सकता है। विश्लेषकों के अनुसार कोरोना संकट के कारण अगले कुछ तिमाहियों में आईटी सेक्टर के लगभग 1.5 लाख से 2 लाख कर्मचारी अपनी नौकरी खो सकते है। आपको बता दें कि भारत में आईटी सेक्टर में 43 लाख से अधिक कर्मचारी काम करते हैं। कोरोना और लॉकडाउन के कारण ज्यादातर कर्मचारी वर्क फ्रॉम होम के जरिए काम कर रहें है।
इंडस्ट्री से जुड़े एक सूत्र ने कहा, ‘आने वाले दिनों में आईटी सेक्टर की कंपनियां 3 से 5 पर्सेंट तक वर्कफोर्स कम कर सकती हैं। खासतौर पर देश की बड़ी 20 कंपनियों में अब यह स्थिति देखने को मिल सकती है।’ यह छंटनी कोरोना के अलावा नॉन-परफॉर्मेंस रिलेटेड रिपोर्ट्स के आधार पर भी होंगी। कोरोना संकट के चलते आईटी सेक्टर की छोटी कंपनियां पहले ही बदहाल थीं और अब बड़ी कंपनियों में भी हालात बहुत अच्छे नहीं दिख रहे।
जानकारों के मुताबिक भारत का आईटी सेक्टर एक्सपोर्ट सर्विसेज पर निर्भर है और अमेरिका समेत बड़ी अर्थव्यवस्थाएं मंदी के दौर से गुजर रही हैं। ऐसे में उन्हें ऑर्डर मिलने बंद हुए हैं या फिर कम हो गए हैं। इसकी शुरुआत छोटी कंपनियों से ही हुई थी, लेकिन अब दुनिया भर में लॉकडाउन और संक्रमण के बढ़ने से यह स्थिति और गहरा गई है। इसके चलते बड़ी कंपनियां भी अब इसकी चपेट में आ रही हैं।
नेशनल सैंपल सर्वे (एनएसएस) और पीरियोडिक लेबर फोर्स सर्वे (पीएलएफएस) द्वारा आंकड़ों के अनुसार कुल 136 मिलियन यानी 13.6 करोड़ सरकारी और निजी क्षेत्र की नौकरियां कोरोना के कारण भारत में तत्काल संकट में हैं। बता दें कि कोरोना संकट के चलते शुरुआत में बढ़ी बेरोजगारी जून महीने में घटी थी, लेकिन एक बार फिर से यह संकट बढ़ता दिख रहा है। अर्थशास्त्रियों के मुताबिक बुवाई का सीजन समाप्त होने के बाद मजदूर अब वापस शहरी क्षेत्र का रुख कर रहे हैं। इसकी वजह यह है कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था उन्हें काम नहीं मिल रहा है, जो काम मिल भी रहे हैं, उनमें मजदूरी कम मिल रही है। ऐसे में एक बार फिर पलायन हो रहा है।