देश के बड़े अरबपतियों में शुमार अजीम प्रेमजी की कंपनी विप्रो को जबरदस्त मुनाफा हुआ है। आपको बता दें कि विप्रो ने बीते कुछ महीनों में दो विदेशी कंपनियों को खरीदने का ऐलान किया है।

करीब 28 फीसदी का मुनाफा: बीते फाइनेंशियल ईयर की चौथी तिमाही में विप्रो को करीब 28 फीसदी मुनाफा हुआ है। इस तिमाही में मुनाफा 2,972 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। इससे पिछले वित्त वर्ष की इसी तिमाही में कंपनी ने 2,326 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ कमाया था। बीते पूरे वित्त वर्ष यानी 2020-21 में कंपनी का मुनाफा 11 प्रतिशत बढ़कर 10,796 करोड़ रुपये पर पहुंच गया, जो इससे पिछले वित्त वर्ष (2019-20) में 9,722 करोड़ रुपये था। (ये पढ़ें—देश के सबसे बड़े दानवीर का बड़ा दांव)

वित्त वर्ष के दौरान कंपनी की इनकम 1.5 प्रतिशत बढ़ गई है। कंपनी की इनकम 61,943 करोड़ रुपये रही, जो 2019-20 में 61,023 करोड़ रुपये थी।

विदेशी कंपनियों को खरीदने में जुटी विप्रो: बीते मार्च के महीने में ही विप्रो ने दो विदेशी कंपनियों के अधिग्रहण का ऐलान किया था। इनमें से एक कंपनी का मुख्यालय लंदन में है। विप्रो की ओर से बताया गया था कि लंदन की कंपनी कैप्को को 1.45 अरब डालर (10,500 करोड़ रुपये) में खरीदेगी। कैप्को का मुख्यालय लंदन में है।

भारतीय कंपनी द्वारा किसी कंपनी को खरीदने का सबसे बड़ा सौदा है। इसी तरह, विप्रो ने 11.70 करोड़ डॉलर (करीब 857 करोड़ रुपये) में ऑस्ट्रेलिया स्थित साइबर सुरक्षा उपलब्ध कराने वाली कंपनी एम्पिओन के अधिग्रहण का भी ऐलान किया है। (ये पढ़ें—दान ही नहीं टैक्स देने में भी आगे मुकेश अंबानी)

कितनी है दौलत: अजीम प्रेमजी संपत्ति के मामले में दुनिया के टॉप 60 अरबपतियों में शुमार हैं। ब्लूमबर्ग बिलेनियर इंडेक्स के मुताबिक​ अजीम प्रेमजी की दौलत 27.1 बिलियन डॉलर है और वह आयरिश नागरिकता ले चुके भारतीय कारोबारी पलोनजी मिस्त्री से एक कदम पीछे हैं। शापूरजी पलोनजी समूह के मुखिया पलोनजी मिस्त्री की दौलत 27.2 बिलियन डॉलर है और वह दुनिया के 55वें सबसे अमीर अरबपति हैं, जबकि अजीम प्रेमजी 56वें स्थान पर हैं।

कैसे हुई विप्रो की शुरुआत: वैसे तो विप्रो की शुरुआत अजीम प्रेमजी के पिता हशम प्रेमजी ने की थी लेकिन इसके कलेवर बदलने का काम अजीम प्रेमजी ने किया है। कुछ साल पहले एक कार्यक्रम में अजीम प्रेमजी ने बताया था कि मैंने सिर्फ उत्पादों की रेंज बढ़ाई है। आपको बता दें कि अजीम प्रेमजी 1966 में पिता के देहांत के बाद विप्रो की कमान संभाली थी। करीब पांच दशक से भी ज्यादा समय से अजीम प्रेमजी के नेतृत्व में विप्रो ने आईटी सेक्टर में कई बड़े बदलाव किए हैं। आज विप्रो आईटी सेक्टर की टॉप कंपनियों में शुमार है।