केंद्र की मोदी सरकार भारत पेट्रोलियम के निजीकरण की ओर आगे बढ़ रही है। ऐसे में आम ग्राहकों के मन में यह सवाल भी उठ रहा है कि घरेलू गैस सिलेंडर की खरीद पर उन्हें मिलने वाली सब्सिडी का अब क्या होगा। दरअसल सरकार ने इसके लिए नया तरीका निकाला है और बीपीसीएल को विनिवेश के बाद ‘divested public sector undertaking’ का टैग देने का फैसला लिया है। मामले की पूरी जानकारी रखने वाले सूत्रों के हवाले से बिजनेस स्टैंडर्ड ने अपनी एक रिपोर्ट में यह बात कही है। ऐसा इसलिए किया जाएगा ताकि घरेलू गैस सिलेंडर का इस्तेमाल करने वाले ग्राहकों को भविष्य में अपनी सब्सिडी न गंवानी पड़े।
इस संबंध में जल्दी ही एक प्रस्ताव कैबिनेट के समक्ष मंजूरी के लिए पेश किया जाएगा। हालांकि यह प्लान भी तत्काल के लिए ही है और लंबी अवधि में सरकार एक अन्य तरीके पर विचार कर रही है। दरअसल सरकार बीपीसीएल के मौजूदा ग्राहकों को इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन, हिंदुस्तान पेट्रोलियम जैसी कंपनियों को ट्रांसफर करने की योजना बना रही है। ये कंपनियां प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर सरकार के नियंत्रण में हैं। इसके अलावा सरकार निजी कंपनियों को भी सब्सिडी वाले गैस सिलेंडरों की सेल के मामले में अवसर देने की तैयारी में भी है।
सरकार के इस फैसले से उन निजी कंपनियों को भी मदद मिलेगी, जो अब तक सब्सिडी वाले एलपीजी ग्राहकों तक नहीं पहुंच सकी हैं। सरकार के इस फैसले से रिलायंस इंडस्ट्रीज जैसी कंपनियों को मदद मिलेगी, जो लंबे समय से 28 करोड़ से ज्यादा ग्राहकों के मार्केट में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए संघर्ष कर रही हैं।
बता दें कि बीपीसीएल में हिस्सेदारी खरीदने के लिए अनिल अग्रवाल के समूह वेदांता ने रुचि दिखाई है। हालांकि देश की इस दूसरी सबसे बड़ी ईंधन कंपनी में हिस्सेदारी खरीदने के लिए रिलायंस इंडस्ट्रीज, सऊदी अरामको, बीपी और टोटल जैसी बड़ी तेल कंपनियों ने बोलियां नहीं लगाईं हैं।