अनियमित जमा योजना और चिट फंडों पर बैन लगाने के लिए एक अध्यादेश को राष्ट्रपति ने भी मंजूरी दे दी है। नया अध्यादेश अवैध जमा योजनाओं की जांच करेगा जो बहुत गरीब लोगों और आर्थिक निरक्षर लोगों का पैसा ठगने का काम करते हैं। वित्तीय सेवा सचिव राजीव कुमार ने शुक्रवार (22 फरवरी, 2019) को कहा कि बिना पंजीकरण के अवैध रूप से चलाई जाने वाली जमा योजनाओं पर रोक लगाने संबंधी अध्यादेश से जमा लेने की पात्रता रखने वाले सभी पंजीकृत निकायों की केंद्रीय सूची बनाने में मदद मिलेगी। राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने गुरुवार को इससे संबंधित अध्यादेश को मंजूरी दी।

कुमार ने कहा कि वैध निकायों की केंद्रीय सूची तैयार करने से गरीबों तथा वित्तीय पर जागरुकता से वंचित लोगों को उनकी गाढ़ी कमाई को चूना लगाने वाली अवैध जमा गतिविधियों पर लगाम लगाने में मदद मिलेगी। एग्रो द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में कुमार ने कहा, ‘‘इस अध्यादेश से हर उस निकाय के लिए पंजीकरण अनिवार्य हो गया है जो जमा लेने की सुविधा देता हो। इससे जमा लेने योग्य सभी निकायों की केंद्रीय सूची भी तैयार होगी। जो कोई निकाय पंजीकृत नहीं होगा, जमा नहीं ले सकेगा।’’

उन्होंने कहा कि अभी से बिना नियंत्रण के निकायों के जमा लेने पर पूरी तरह रोक है और इसे बढ़ावा देने वाले किसी भी निकाय को दंडित किया जाएगा। उन्होंने कहा, ‘‘यह अध्यादेश एक एजेंट या विज्ञापन के जरिये चूना लगाने पर भी रोक लगाता है। आप ऐसी किसी भी योजना का विज्ञापन नहीं कर सकते हैं जो पंजीकृत नहीं है।’’ इससे संबंधित विधेयक को लोकसभा ने पारित कर दिया था। हालांकि, यह विधेयक राज्यसभा में पारित नहीं हो सका था।

आधिकारिक गजट के अनुसार राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद गुरुवार से कंपनी (द्वितीय संशोधन) अध्यादेश 2019 प्रभावी हो गया। कंपनी (संशोधन) अध्यादेश 2018 की जगह लेने वाला विधेयक संसद में पारित नहीं हो सका था।

राष्ट्रपति ने इसके अलावा अनियमित जमा योजनाओं पर प्रतिबंध से संबंधित अध्यादेश को भी मंजूरी दी। इसका उद्देश्य देश में अवैध रूप से धनराशि जमा कराने वाली योजनाओं पर नकेल कसना है। अध्­यादेश के जरिये पोंजी कंपनियों पर प्रतिबंध की प्रभावी व्यवस्था की गई है।