केंद्र सरकार की ओर से सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों को राहत देने के मकसद से ऐलान किए गए 3 लाख करोड़ रुपये के पैकेज में से 43 फीसदी हिस्सा मंजूर किया जा चुका है। सरकारी डेटा के मुताबिक बैंकों की ओर से अब तक इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी स्कीम के तहत 43.5 फीसदी रकम मंजूर की गई है। शुरुआती दौर में यह रफ्तार धीमी थी, लेकिन बीते कुछ सप्ताह में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों को बैंकों की ओर से बड़ी संख्या में लोन जारी किए गए हैं। डेटा के मुताबिक निजी एवं सरकारी बैंकों ने लोन जारी करने में तेजी दिखाई है। 1 जुलाई तक 1.10 लाख करोड़ रुपये के लोन मंजूर किए गए थे, जो अब बढ़कर 1.30 लाख करोड़ तक पहुंच गया है।
यही नहीं कर्जधारकों के खातों में लोन की रकम ट्रांसफर करने का आंकड़ा भी तेजी से बढ़ा है। 23 जुलाई तक बैंकों की ओर से 3 लाख करोड़ रुपये के पैकेज में से बैंकों ने 82,065 करोड़ रुपये का पैकेज जारी कर दिया है। यह कुल पैकेज का 27.35 फीसदी हिस्सा है। इससे पहले 1 जुलाई तक यह आंकड़ा 52,255 करोड़ रुपये तक का था। केंद्र सरकार के पैकेज के तहत बैंकों की ओर से 3 लाख करोड़ रुपये तक की रकम जारी की जानी है। इसके अलावा ऐसे ग्राहक जिन्होंने फिलहाल लोन ले रखा है और वह एनपीए में तब्दील नहीं हुआ है तो उन्हें पहले से लिए गए कर्ज से 20 फीसदी अतिरिक्त राशि दी जा रही है।
एक सरकारी अधिकारी ने कहा कि अगले तीन महीनों में बैंकों की ओर से एमएसएमई को तीन लाख करो़ड़ रुपये के कर्ज का टारगेट हासिल किया जा सकता है। 23 मई को लॉन्च की गई इस स्कीम के तहत 31 अक्टूबर तक या फिर 3 लाख करोड़ रुपये की लिमिट तक लोन बांटे जाने हैं। ऐसे सभी एमएसएमई जिनका टर्नओवर 100 करोड़ रुपये तक का है, उन्हें इस स्कीम के तहत लोन दिया जाना है। बैंकों ने 23 जुलाई तक जो 1.30 लाख करोड़ रुपये के लोन मंजूर किए हैं, उसमें से 58,673 करोड़ रुपये की रकम निजी बैंकों ने मंजूर की है, जबकि सरकारी बैंकों ने 71,818 करोड़ रुपये के लोन्स को मंजूरी दी है। निजी बैंकों ने मोटे तौर पर ऐसे कर्जधारकों को लोन जारी किए हैं, जिनके बड़े अकाउंट हैं।
निजी बैंकों की ओर से अब तक कर्जधारकों के खाते में 34,433 करोड़ रुपये की रकम जारी की जा चुकी है। इसके अलावा सरकारी सेक्टर के बैंकों ने 47,631 करोड़ रुपये की रकम जारी कर दी है। औसत के अनुसार देखें तो निजी बैंकों ने बड़े लोन बांटे हैं, जबकि सरकारी बैंकों ने छोटे उद्योगों को भी मदद की है। निजी बैंकों ने औसतन 14.95 लाख रुपये प्रति कर्जधारक को जारी किए हैं, जबकि सरकारी बैंकों का औसत 2.66 लाख रुपये है।