बीते साल बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि आयुर्वेद ने रुचि सोया का अधिग्रहण कर लिया था। खाद्य तेल निर्माता इस कंपनी की बागडोर भी अब तक उनके करीबी आचार्य बालकृष्ण ही संभाल रहे थे, लेकिन अब उन्होंने इस पद से इस्तीफा दे दिया है और उनकी जगह बाबा रामदेव के छोटे भाई राम भरत ने ली है। 42 वर्षीय राम भरत बाबा रामदेव के परिवार के अकेले सदस्य हैं, जो उनके कामकाज को संभालते हैं और पतंजलि आयुर्वेद का हिस्सा हैं। पहली बार 2015 में ट्रक यूनियन और पतंजलि आयुर्वेद परिसर के गार्डों के बीच हुई झड़प में उनका नाम सामने आया था। पहली बार चर्चा में आए राम भरत को इस मामले में न्यायिक हिरासत में भी भेजा गया था। इस घटना में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी, जबकि 4 लोग घायल हुए थे।
राम भरत भले ही रुचि सोया के एमडी बनाए गए हैं, लेकिन वह अनाधिकारिक तौर पर पूरे पतंजलि आयुर्वेद समूह के ही कामकाज को संभालते हैं। बाबा रामदेव प्रचार और अन्य बाहरी कामकाज को देखते हैं, जबकि आचार्य बालकृष्ण सीईओ के तौर पर काम करते हैं और मुख्य रूप से रिसर्च एवं स्ट्रैटेजी पर फोकस करते हैं। वहीं राम भरत कंपनी के दैनिक कामकाज को संभालते हैं। इकनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक राम भरत की प्रोडक्ट डिवेलपमेंट और इनोवेशन में अहम भूमिका अहम रहती है। खासतौर पर कंपनी के फाइनेंस, ह्यूमन रिसोर्च, प्रोडक्शन और सप्लाई चेन डिपार्टमेंट सीधे तौर पर राम भरत को ही रिपोर्ट करते हैं। राम भरत की सीधी रिपोर्टिंग आचार्य बालकृष्ण और बाबा रामदेव को है।
पतंजलि में भरत भाई के नाम से हैं चर्चित: पतंजलि आयुर्वेद के सूत्रों के मुताबिक राम भरत दिन के सभी कामों को देखते हैं और एक तरह से कंपनी के लिए बैकएंड के तौर पर काम करते हैं। आमतौर पर कुर्ता पायजामा ही पहनने वाले राम भरत को पतंजलि समूह से जुड़े लोग भारत भाई के नाम से जानते हैं। पतंजलि के बोर्ड का भी वह हिस्सा हैं। बता दें कि बाबा रामदेव तीन भाई और एक बहन हैं। रामदेव के बड़े भाई देवदत्त यादव हरियाणा के महेंद्रगढ़ जिले में स्थित पैतृक गांव अली सैयदपुर में ही रहते हैं, जबकि राम भरत उनके साथ ही हरिद्वार में रहते हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बाबा रामदेव के माता और पिता भी हरिद्वार में ही रहते हैं।
जून तिमाही में घटा रुचि सोया का लाभ: बता दें कि बुधवार को रुचि सोया के जून तिमाही के नतीजे आए थे। मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही में कंपनी के मुनाफे में 13 पर्सेंट की गिरावट देखने को मिली है। 30 जून को समाप्त तिमाही में रुचि सोया को 12.25 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ हुआ है, जबकि इसी अवधि में बीते साल 14.01 करोड़ रुपये का लाभ हुआ था।