योग गुरु रामदेव बाबा की पतंजलि का मार्केट पिछले एक साल से लगातार गिरता जा रहा है। पतंजलि आयुर्वेद ने टूथपेस्ट को छोड़कर लगभग सभी श्रेणियों में बाजार शेयरों को खो दिया है। इसकी बड़ी वजह जीएसटी और नोटबंदी है। इक्नोमिक्स टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक बहुराष्ट्रीय एफ़एमसीजी कंपनियों के लिए चुनौती बनकर उभरी पतंजलि आयुर्वेद का मार्केट शेयर इस साल जुलाई तक पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले कम रहा।

कंपनी के कंज्यूमर गुड्स सेगमेंट में अपना वर्चस्व खोने के बाद पतंजलि की बिक्री में भारी गिरावट आई है। विशेषज्ञों के मुताबिक दो साल पहले जीएसटी के आने के बाद बड़ी कंपनियां हर्बल उत्पादों और आयुर्वेदिक प्रॉडक्ट्स की ओर तेजी से बढ़ीं। कई कंपनियों ने अपने नए हर्बल ब्रांड लॉन्च किए जिसके चलते पतंजलि ने अपना मार्केट खो दिया। रिपोर्ट्स के अनुसार डिटर्जेंट, शैंपू, साबुन से लेकर नूडल्स तक का बाजार पतंजलि ने खो दिया है।

इसका वार्षिक वित्तीय रिपोर्ट डेटा बताता है कि 2017 तक कंपनी ने 10,500 करोड़ रुपये की सेल्स की थी। वित्त वर्ष 2018 में पतंजलि की बिक्री 10 प्रतिशत घटकर 8,100 करोड़ रुपये रह गई थी। वहीं वित्त वर्ष 2019 के पहले नौ महीनों में कंपनी की सेल्स 4,701 करोड़ रुपये रही। कंपनी के 3,500 डिस्ट्रीब्यूटर्स हैं जो पूरे भारत में लगभग 47,000 रिटेल काउंटरों की आपूर्ति करते हैं।

एफ़एमसीजी प्रोडक्टस की बिक्री के लिए ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म के अलावा कंपनी के पास 1,500 पतंजलि चिकत्सालय, 5,000 आरोग्य केंद्र और 25,000 स्वदेशी केंद्र भी है। एफएमसीजी क्षेत्र में कम्पटीशन के चलते रामदेव के नेतृत्व वाली कंपनी अब सोलर, कृषि और खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्रों पर अधिक ध्यान केंद्रित कर रही है।