योग गुरु बाबा रामदेव ने भले ही आज पतंजलि आयुर्वेद के जरिए दुनिया भर के कारोबारी जगत में अपनी पैठ बनाई है, लेकिन आज भी उनका परिवार बेहद साधारण जिंदगी जीता है। हरियाणा के महेंद्रगढ़ जिले के रामकृष्ण यादव के बाबा रामदेव बनने की कहानी बेहद दिलचस्प है। महज 9 साल की उम्र में घर छोड़कर खानपुर के गुरुकुल में शामिल होने वाले और संन्यास लेकर योग के जरिए नाम कमाने वाला बाबा रामदेव के परिजन आज भी खेती-किसानी करते हैं। बाबा रामदेव की मां गुलाबो देवी और पिता रामकिशन यादव आज भी बेहद लो-प्रोफाइल जिंदगी जीते हैं और खेती-किसानी करते हैं।

बाबा रामदेव ने अपने पहले गुरु आचार्य बलदेव जी से संस्कृत, व्याकरण और योग की शिक्षा ली थी। तीन भाईयों और एक बहनों में बाबा रामदेव दूसरे नंबर पर हैं। पतंजलि के करीबी सूत्रों के मुताबिक उनके बड़े भाई देवदत्त का परिवार अब भी सैयद अलीपुर गांव में ही रहता है, जहां बाबा रामदेव का जन्म हुआ था। देवदत्त पहले सीआरपीएफ में थे और अब गांव में ही रहकर खेती करते हैं।

बाबा रामदेव के छोटे भाई राम भरत हैं, जो पतंजलि आयुर्वेद का हिस्सा हैं। हरिद्वार में रहकर वह कंपनी के दिन-प्रतिदिन के कामों को देखते हैं। पतंजलि के आंतरिक सूत्रों के मुताबिक रामभरत की रिपोर्टिंग सीधी रामदेव और सीईओ आचार्य बालकृष्ण को है। हायरिंग, प्रोडक्शन और क्वॉलिटी मैनेजमेंट जैसे कामों को वह देखते हैं।

कहा जाता है कि एक बार सैयद अलीपुर गांव में एक साधु का आना हुआ था। उनकी संगत में रहने के दौरान बाबा रामदेव का योग और वैदिन शिक्षा के प्रति रुझान बढ़ा था। तब उनकी उम्र बेहद कम थी। एक बार उन्होंने खुद भी कहा था कि उनका 4 साल की उम्र में ही संन्यास की ओर रुझान हो गया था। बाबा रामदेव के करीबी सूत्रों के मुताबिक आज पतंजलि के सीईओ के तौर पर काम देख रहे आचार्य बालकृष्ण से उनकी पहली मुलाकात 1990 में गुरुकुल में हुई थी। इसके बाद दोनों की दोस्ती बढ़ती गई और आज दोनों पतंजलि को मिलकर चला रहे हैं।