लॉकडाउन की वजह से आजीविका के संकट का सामना कर रहे गरीबों और प्रवासी मजदूरों को केंद्र सरकार की ओर से कैश में मदद दी जा सकती है। देश में लगातार तीसरे महीने लॉकडाउन जारी रहने के बीच मजदूरों और गरीबों की स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है। ऐसे में वित्त मंत्रालय के सूत्रों ने गरीबों को कैश के तौर पर मदद से इनकार नहीं किया है। एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक यदि जरूरत पड़ती है तो गरीब प्रवासी मजदूरों को कैश दिया जा सकता है। लॉकडाउन के लंबा खिंचने की वजह से अर्थव्यवस्था ठहर गई है और गरीबों को रोजगार के भीषण संकट का सामना करना पड़ रहा है।
नोबेल विजेता अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी ने भी गरीबों को कैश में मदद करने की वकालत की है। पिछले दिनों बनर्जी ने कहा था कि सरकार को देश के प्रत्येक गरीब को 1,000 रुपये देने चाहिए। इसे लेकर तर्क देते हुए उन्होंने कहा कि अब तक जो उपाय किए गए हैं, उनमें बिजनेस को मदद की गई है। इससे बाजार में सप्लाई बढ़ेगी, लेकिन मांग में इजाफे के लिए यह जरूरी है कि गरीबों को कैश में मदद की जाए।
यही नहीं आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन भी कह चुके हैं कि सिर्फ राशन दिए जाने से गरीबों की मदद नहीं हो पाएगी। तेल खरीदने, घर का किराया देने जैसी जरूरतों के लिए उनकी कैश में भी मदद की जानी चाहिए। इसके अलावा केंद्र सरकार ने अभी कैश की लिक्विडिटी को खत्म करने के लिए नोट छापने का फैसला नहीं लिया है। हालांकि जरूरत पड़ने पर ऐसी संभावना से इनकार भी नहीं किया है।
इस बीच जनवरी-मार्च तिमाही के जीडीपी के आने का इंतजार है, जिसमें बड़ी गिरावट आने की आशंका है। बता दें कि सरकार की ओर से अब तक कोरोना के संकट से निपटने के लिए 21 लाख करोड़ रुपये के पैकेज का ऐलान किया जा चुका है।