लोगों से बड़े सपने देखने को कहते हुए वेदांता रिसोर्सेज लिमिटेड के चेयरमैन ने इस बात का खुलासा किया कि वह अक्सर अपने पिता के साथ हिंडाल्को कारखाने में जाते थे जब वह 14 साल के थे। आदित्य बिड़ला समूह की मेटल फ्लैगशिप कंपनी में एल्युमीनियम खरीदने के लिए पिता-पुत्र एक साथ पटना से बनारस की यात्रा पर ट्रेन से निकलते थे।

ट्रेन की यात्रा के बाद उन्होंने लोगों से भरी टैक्सी की सवारी की – जिसके बारे में अग्रवाल का अनुभव बहुत अच्छा नहीं रहा। एक लिंक्डइन पोस्ट में, इस उद्योगपति ने बताया कि टैक्सी ड्राइवर दिवंगत गायक-संगीतकार मोहम्मद रफी का क्लासिक गीत ‘वो कौन सी मुश्किल है’ बजाया करता जो 1961 की फिल्म ‘मां बेटा’ का गाना है। इस फिल्म में मनोज कुमार, अमीता और निरूपा रॉय ने मुख्य भूमिकाएं निभाई थीं। .

वे अपने पोस्ट में आगे कहते हैं, “मुझे शायद ही मालूम था कि इस गाने के बोल मेरी जिंदगी में प्रेरणा का काम करेंगे। उस समय मेरा सपना कम लोगों के साथ टैक्सी में सफर करना था, लेकिन वह सब बदलने वाला था।” अपने शुरुआती दिनों को याद करते हुए वह हैं कि हिंडाल्को कारखाने में चमकदार नए उपकरण देखने और वहां काम करने वालों को देख लगा कि ‘कुछ भी असंभव नहीं है’।” वह कहते हैं, “मैंने खुद से एक वादा किया था, एक दिन मैं अपना अंपायर खड़ा करूंगा।”

अग्रवाल का खुद से किया वादा जल्द ही हकीकत में बदलने वाला था। 1970 के दशक में उन्होंने मेटल स्क्रैप सेल्स का कारोबार शुरू कर दिया। उन्होंने इसके बारे में जानने-समझने के लिए काफी मेहनत की। उनके सफर की शुरुआत मद्रास एल्युमिनियम कंपनी (MALCO) से हुई, जो भारी नुकसान में चल रही थी। हालांकि, वे इस बात को लेकर आश्वस्त थे कि माल्को में क्षमता है क्योंकि यह एक बॉक्साइट खदान के पास स्थित है, जिससे उत्पादन क्षमता बढ़ सकती है।

उन्होंने कहा, “मैं एक पावर प्लांट सप्लायर को ढूंढा जिसने मुझसे कोई डाउन पेमेंट नहीं मांगा और उत्पादन क्षमता को लगभग 10,000 से 25,000 टन तक बढ़ाने में मदद की।” उनके एजेंडे में अगला भारत एल्युमिनियम कंपनी (बाल्को) था, जो भारत का पहला निजीकरण सौदा था। जब अधिकांश निवेशक इससे दूर रहे, तब उन्होंने इस कारोबार में हाथ आजमाया। वे कहते हैं कि उनके पास खोने के लिए कुछ नहीं था।

अपने पोस्ट में वह लिखते हैं, “निवेशक घाटे में चल रही कंपनियों को खरीदने से कतराते थे, लेकिन मैंने उन्हें अवसर के रूप में देखा क्योंकि मुझे जो हासिल करना था वह बहुत बड़ा था।” इसने वेदांता एल्युमिनियम के लिए रास्ता बनाने का काम किया। उड़ीसा के दिवंगत मुख्यमंत्री बीजू पटनायक ने अग्रवाल से कालाहांडी में एक एल्युमिना संयंत्र स्थापित करने के लिए संपर्क किया – जो उस समय सबसे कम विकसित क्षेत्रों में से एक था। इसमें राज्य के वर्तमान सीएम नवीन पटनायक की भूमिका भी रही। एक युवा के रूप में, अग्रवाल कहते हैं कि उन्हें अक्सर दायरे में सपने देखने के लिए कहा जाता था, लेकिन इस चीज ने कभी उन्हें रोका नहीं और इस तरह आज वे भारत ही नहीं दुनिया में अपना मुकाम रखते हैं।