कॉरपोरेट कल्चर में यूं तो आध्यात्मिकता का बहुत ज्यादा स्थान नहीं है, लेकिन अकसर दिग्गज कारोबारी गुरुओं की शरण में जाते रहे हैं। ऐसे ही एक आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर हैं, जिनके अनुयायी कॉरपोरेट जगत में भी बड़ी संख्या में हैं। बिजनेस स्टैंडर्ड की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय स्टेट बैंक की पूर्व चेयरपर्सन अरुंधति भट्टाचार्य भी श्री श्री रविशंकर की ओर से आयोजित शिविरों में हिस्सा लेती रही हैं। उनके अलावा स्नैपडील के फाउंडर रहे कुणाल बहल भी श्री श्री के अनुयायी हैं। यही नहीं अमेजॉन इंडिया के हेड अमित अग्रवाल और एचडीएफसी के सीईओ केकी मिस्त्री भी एक इवेंट में श्री श्री रविशंकर के बेंगलुरु स्थित आश्रम में देखे गए थे।

रिपोर्ट के मुताबिक वीडियोकॉन के चेयरमैन वेणुगोपाल धूत भी श्री श्री के अनुयायी हैं। उनके मुताबिक आर्ट ऑफ लिविंग के चलते ही उनके जीवन में बड़ा बदलाव आया है। वह कहते हैं कि इसके चलते वह विनम्र रह पाते हैं और अपने काम पर फोकस कर पाते हैं। यश बिड़ला ग्रुप के चेयरमैन यश बिड़ला भी उनके फॉलोअर्स में से एक हैं। दिग्गज क्रिकेटर सचिन तेंडुलकर भी पुट्टापर्थी साईं बाबा के अनुयायी रहे हैं।

सुदर्शन क्रिया के चलते चर्चित हुए श्री श्री रविशंकर का राजनीतिक प्रभाव भी रहा है। उनकी वेबसाइट के मुताबिक 1951 में दक्षिण भारत में उनका जन्म हुआ था। वह 4 साल की उम्र से ही भगवद्गीता का पाठ करते थे। कहा जा रहा है कि 1982 में वह एक बार 10 दिनों के लिए ध्यान पर चले गए थे और इसी दौरान सुदर्शन क्रिया का जन्म हुआ। तनावमुक्त, हिंसामुक्त विश्व के नारे के साथ काम करने वाले श्री श्री रविशंकर अंग्रेजी के साथ ही हिंदी भाषा के भी अच्छे जानकार हैं।

राम मंदिर की मध्यस्थता कमिटी में थे श्री श्री रविशंकर: सुप्रीम कोर्ट ने राम मंदिर मसले पर कानूनी निर्णय से पहले मध्यस्थता का भी प्रयास किया था और इसके लिए 2019 में तीन सदस्यीय कमिटी गठित की थी। इस समिति के एक अहम सदस्य श्री श्री रविशंकर भी थे। बता दें कि वह 2003 से ही राम मंदिर मसले पर मध्यस्थता के प्रयास कर रहे थे। रविशंकर ने पहले भी कोर्ट के बाहर समझौते की बात कही थी।