अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) के कोटा सुधारों को पूरा करने में विलंब पर निराशा जताते हुए भारत ने रविवार (9 अक्टूबर) कहा कि मुद्राकोष को कोटा की 15वीं आम समीक्षा की नई समयसीमा का कड़ाई से पालन करना चाहिए। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि वैश्वीकरण और बहुपक्षवाद मिल कर वैश्विक वृद्धि के अवसरों का विस्तार करने में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। ऐसे में हमें समन्वित योजना कार्रवाई तथा वृद्धि की रणनीतियों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।’ यहां अंतरराष्ट्रीय मौद्रिक और वित्तीय समिति के पूर्ण सत्र को संबोधित करते हुए जेटली ने मुद्राकोष की कोटा व्यवस्था में सुधार में विलम्ब पर कहा, ‘हम यह कहेंगे कि यह निराशाजनक है कि 15वीं समीक्षा को पूरा करने की समयसीमा को 2019 की गीष्मकालिक बैठकों तथा बढ़ा दिया गया है।’

एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि इस बारे में भारत की ओर से अत्यंत निराशा जताते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि आईएमएफ को इस बारे में नई समयसीमा का कड़ाई से पालन करना चाहिए। जेटली ने कोटा बढ़ाने की जरूरत पर बल देते हुए कहा कि कोष की मौजूदा ऋण देने की क्षमता को कायम रखने को लेकर व्यापक सहमति है और इसका संसाधन पूल बहुत हद तक कर्ज वाले संसाधनों पर आश्रित है। वित्त मंत्री जेटली ने कहा कि मुद्राकोष के हालिया कामकाज से भी यह संकेत मिलता है कि सदस्य देशों की कोटा हिस्सेदारी को बदली हुई आर्थिक वास्तविकताओं के अनुरूप किए जाने जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा, ‘इन सभी चीजों को 15वीं समीक्षा के जरिए हासिल किया जा सकता है। आम समीक्षा में देरी से इस संगठन की वैधता और विश्वसनीयता घटती है और यह करार के प्रावधानों के खिलाफ है।’

उन्होंने कहा, ‘मैं उम्मीद करता हूं कि नए कोटा फार्मूला सहित अब 15वीं समीक्षा के लिए जो समयसीमा तय की जाएगी उसे पूरा किया जाएगा।’ वित्त मंत्री ने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि नए कोटा फार्मूला में पीपीपी सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) को अधिक भारांश दिया जाए, जिससे उभरते बाजारों तथा विकासशील अर्थव्यवस्थाओं की वास्तविक आर्थिक ताकत का अनुमान लग सके। कार्यकारी बोर्ड द्वारा अपनी संचलक मंडल को सौंपने के बाद मौजूदा कोटा फार्मूला की वृहद समीक्षा जनवरी, 2013 में पूरी की गई। इस समीक्षा के नतीजों के आधार पर ही कार्यकारी बोर्ड 15वीं समीक्षा के तहत नए कोटा फार्मूला को लेकर वृहद सहमति पर पहुंचेगा। वित्त मंत्री जेटली ने कहा कि भारत विश्व अर्थव्यवस्था के बारे में मुद्राकोष के अनुमानों से मौटे तौर पर सहमत है। उन्होंने कहा कि वैश्विक वित्तीय संकट से अभी हम उस मजबूती से नहीं उबर पाए है, जो हम चाह रहे थे।

उन्होंने कहा कि हम मुद्राकोष के प्रबंध निदेशक के ‘वैश्विक नीतिगत एजेंडा’ से भी ज्यादातर सहमत हैं जिसमें आर्थिक वृद्धि का आधार व्यापक बनाए जाने पर बल है। उन्होंने नीतिगत क्षेत्रों की पहचान किए जाने के प्रस्ताव का भी समर्थन किया और कहा कि आईएमएफ के पास आर्थिक ज्ञान और अनुभव का बेजोड़ भंडार है और वह इसके बूते सदस्य देशों खासकर नीतियां तय करने और उन्हें लागू करने की कम क्षमता वाले कम विकसित देशों को आगे की राह सुझाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की स्थिति में है। जेटली ने कहा कि मुद्राकोष को यह धारणा दूर करने का प्रयास करना चाहिए कि संगठन में सबसे साथ बराबरी का बर्ताव नहीं होता। उन्होंने कहा कि ‘छोटे देशों को भी विश्वास होना चाहिए।’ उन्होंने कहा कि विकसित देश बहुत लंबे समय तक उदार मौद्रिक नीति पर अटके हुए हैं।