सार्वजनिक क्षेत्र के इलाहाबाद बैंक का चालू वित्त वर्ष की दुसरी तिमाही शुद्ध घाटा एक साल पहले के मुकाबले तेजी से गिरकर 1,822.71 करोड़ रुपये हो गया। बैंक का फंसे कर्ज के एवज में राशि का प्रावधान बढ़ने से घाटा बढ़ा है। बैंक को एक साल पहले इसी अवधि में 70.20 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ हुआ था। हालांकि इस साल की पहली तिमाही में हुये 1,944.37 करोड़ रुपये के घाटे के मुकाबले दूसरी तिमाही में बैंक का नुकसान कुछ कम हुआ है। वित्त वर्ष की जुलाई से सितंबर 2018 अवधि की दूसरी तिमाही में बैंक की कुल आय एक साल पहले की इसी अवधि के 5,067.78 करोड़ रुपये के मुकाबले घटकर 4,410.72 करोड़ रुपये रह गई। इलाहाबाद बैंक ने बंबई शेयर बाजार को भेजी सूचना में यह कहा है।
इस दौरान बैंक की सकल गैर-निष्पादित राशि (एनपीए) यानी फंसे कर्ज का अनुपात उसके कुल दिये गये कर्ज के समक्ष 17.53 प्रतिशत तक पहुंच गया। एक साल पहले इसी अवधि में यह 14.10 प्रतिशत पर था। शुद्ध एनपीए की यदि बात की जाये तो इस साल दूसरी तिमाही के अंत में यह 7.96 प्रतिशत और पिछले साल 8.84 प्रतिशत रहा था।
फंसे कर्ज का अनुपात बढ़ने से बैंक को इसके एवज में इस साल 1,991.88 करोड़ रुपये का प्रावधान करना पड़ा जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह प्रावधान 1,469.52 करोड़ रुपये रहा था। बैंक का एनपीए प्रावधान और आपात राशि बढ़कर 2,356.04 करोड़ रुपये हो गई जो कि एक साल पहले 30 सितंबर को 1,497.11 करोड़ रुपये थी।
यूनाइटेड बैंक का दूसरी तिमाही का घाटा बढ़कर 883 करोड़ रुपये पर
यूनाइटेड बैंक आफ इंडिया (यूबीआई) को चालू वित्त वर्ष की सितंबर में समाप्त दूसरी तिमाही में 883.17 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा हुआ है। प्रावधान तथा आकस्मिक खर्च के लिए ऊंची राशि की वजह से बैंक का घाटा भी बढ़ा है। इससे पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक को 344.83 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था। चालू वित्त वर्ष की जून में समाप्त पहली तिमाही में बैंक को 388.68 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा हुआ था। बैंक ने बयान में कहा कि ऊंचे प्रावधान की वजह से उसका घाटा बढ़ा है। तिमाही के दौरान बैंक की कुल आय बढ़कर 2,600.47 करोड़ रुपये पर पहुंच गई, जो इससे पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में 2,584.89 करोड़ रुपये थी।
