सरकारी एयरलाइन कंपनी एयर इंडिया का यदि निजीकरण नहीं हो पाता है तो केंद्र सरकार इसे हमेशा के लिए बंद भी कर सकती है। केंद्रीय उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने एयर इंडिया के भविष्य को लेकर यह बात कही है। उन्होंने कहा कि यदि संभव होगा तो सरकार इस एयरलाइन को चलाएगी, लेकिन कंपनी पर 60,000 करोड़ रुपये का कर्ज है। ऐसे में इसका निजीकरण या फिर शट डाउन करना ही विकल्प है। एयरक्राफ्ट संशोधन विधेयक, 2020 को राज्यसभा में पेश करने से पहले हरदीप सिंह पुरी ने मंगलवार को यह बात कही। उन्होंने कहा कि हमें भरोसा है कि एयर इंडिया को नया मालिक मिलेगा और उसे नई उड़ान मिलेगी।
उन्होंने कहा कि 2011-12 से अब तक केंद्र सरकार की ओर से एयर इंडिया में 30,520 करोड़ रुपये की पूंजी का निवेश किया जा चुका है। एविएशन सेक्टर के एक्सपर्ट कपिल कौल ने Live Mint से बातचीत में कहा कि सरकार को एयर इंडिया की सेल से ज्यादा कुछ मिलने की उम्मीद नहीं है। सरकार का फोकस फिलहाल फंड को अन्य जरूरी चीजों पर खर्च कर पर है, जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक इन्फ्रास्ट्रक्चर।
हालांकि इस बीच खबर है कि सरकार एयर इंडिया के प्राइवेटाइजेशन की शर्तों को बदलने जा रही है। अब निजीकरण के तहत यह शर्त होगी कि खरीददार को कंपनी पर बकाया कर्ज भी लेना होगा। इसके अलावा अब बोली कंपनी की एंटीटी वैल्यू पर नहीं होगी बल्कि इंटरप्राइज वैल्यू के आधार पर लगेगी।
इस बीच सरकार ने एयर इंडिया के लिए बोली जमा करने की समयसीमा दो महीने बढ़ाकर 30 अक्तूबर तक कर दी है। कोविड-19 संकट के कारण दुनिया भर में आर्थिक गतिविधियों पर पड़े असर को देखते हुए समयसीमा बढ़ाई गई है। सरकारी एयरलाइन में हिस्सेदारी बेचने की प्रक्रिया 27 जनवरी को शुरू हुई थी। यह पांचवां मौका है, जब केंद्र सरकार ने एयर इंडिया के लिए बोली जमा करने की तारीख को बढ़ाया है। जनवरी में जारी रुचि पत्र के तहत बोली जमा करने की अंतिम तिथि 17 मार्च थी। बाद में इसे बढ़ाकर 30 अप्रैल किया गया। उसके बाद इसे 30 जून और फिर 31 अगस्त तक बढ़ाया गया था।