ऑर्गनाइज्ड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट (OCCRP) के गुरुवार को एक लेख में किये गये खुलासे से हड़कंप मच गया है। रिपोर्ट में इसने कहा, “गुमनाम” मॉरीशस फंड के माध्यम से भारत के अडानी समूह के कुछ सार्वजनिक रूप से कारोबार वाले शेयरों में लाखों डॉलर का निवेश किया गया था, जिसने अडानी परिवार के कथित व्यापारिक सदस्यों की भागीदारी को “छिपाया” गया था। गैर-लाभकारी मीडिया संगठन ओसीसीआरपी (OCCRP) ने कई टैक्स हेवन्स और अडानी समूह के आंतरिक ईमेल्स से फाइलों की समीक्षा का हवाला देते हुए कहा कि इसकी जांच में कम से कम दो ऐसे मामले मिले हैं, जहां निवेशकों ने ऐसी विदेशी कंपनियों के माध्यम से अडानी स्टॉक खरीदा और बेचा। जांच रिपोर्टिंग प्लेटफॉर्म OCCRP की एक रिपोर्ट के बाद गुरुवार को अडानी समूह के शेयरों में गिरावट आ गई

अडाणी समूह ने दावों को किया खारिज

ओसीसीआरपी लेख तब आया है जब जनवरी में अमेरिका स्थित शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडानी समूह पर अनुचित व्यापारिक लेनदेन का आरोप लगाया था, जिसमें मॉरीशस जैसे टैक्स हेवन में कई संस्थाओं का उपयोग शामिल था, जहां से उसने कहा था कि कुछ विदेशी फंड “गुप्त रूप से” अडानी के सूचीबद्ध फर्मों के शेयरों का स्वामित्व लिये हैं। अडाणी समूह ने हिंडनबर्ग के दावों को भ्रामक और बिना सबूत वाला बताया है और कहा है कि उसने हमेशा कानूनों का अनुपालन किया है। हालांकि, जनवरी की रिपोर्ट के कुछ दिनों बाद, अडानी समूह के शेयरों का बाजार मूल्य $150 बिलियन कम हो गया था और हाल के महीनों में कुछ कर्ज चुकाने और कुछ निवेशकों का विश्वास हासिल करने के बाद सुधार के बाद यह लगभग $100 बिलियन नीचे रहा।

पुरानी रिपोर्ट को ही दोहराने का लगाया आरोप

ओसीसीआरपी को दिए एक बयान में, अडानी समूह ने कहा कि पत्रकारों द्वारा जांच की गई मॉरीशस फंड का नाम पहले ही हिंडनबर्ग रिपोर्ट में दिया गया था और “आरोप न केवल निराधार और बिना सबूत के हैं, बल्कि हिंडनबर्ग के आरोपों से दोहराए गए हैं।”

बयान के अनुसार, “यह स्पष्ट रूप से कहा गया है कि अडानी समूह की सभी सार्वजनिक रूप से सूचीबद्ध संस्थाएं सार्वजनिक शेयर होल्डिंग्स से संबंधित विनियमन सहित सभी लागू कानूनों का अनुपालन करती हैं।” रॉयटर्स ने ओसीसीआरपी के दावों की स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं की है। अडानी समूह ने ओसीसीआरपी रिपोर्ट पर टिप्पणी के लिए रॉयटर्स के अनुरोध का तुरंत जवाब नहीं दिया।

हिंडनबर्ग रिपोर्ट से अरबपति गौतम अडानी को कड़ी चोट पहुंची है, जो बंदरगाह से ऊर्जा तक के कारोबार में लगे हुए हैं। वे जनवरी तक दुनिया के तीसरे सबसे अमीर व्यक्ति थे। संकट ने उन्हें $2.5 बिलियन की शेयर बिक्री को रोकने और बैंकों को अपनी व्यावसायिक साख के बारे में समझाने के लिए मजबूर किया। भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने बाद में हिंडनबर्ग रिपोर्ट के आधार पर बाजार नियामक जांच की निगरानी के लिए एक पैनल नियुक्त किया था। मई में पैनल ने कहा कि नियामक ने अडानी समूह में विदेशी निवेश में संदिग्ध उल्लंघनों की जांच में अब तक “खाली निष्कर्ष निकाला है।”

अडानी समूह ने रिपोर्ट को किया खारिज

OCCRP की रिपोर्ट को निराधार बताते हुए अडानी ग्रुप की तरफ से कहा गया कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि रिपोर्ट में हमें भेजे गए सवालों पर हमारी प्रतिक्रिया पूरी तरह से प्रकाशित नहीं की गई। अडानी समूह ने कहा कि इन प्रयास का मकसद हमारे स्टॉक की कीमतों को कम करके फायदा कमाना है। हम इस रिपोर्ट को पूरी तरह से खारिज करते हैं।