पतंजलि आयुर्वेद के संस्थापक और योग गुरु बाबा रामदेव की परछाईं के तौर पर अकसर नजर आने वाले आचार्य बालकृष्ण लो-प्रोफाइल रहना पसंद करते हैं। कंपनी के सीईओ के तौर पर 94 फीसदी हिस्सेदारी रखने वाले और देश के अमीरों की लिस्ट में शुमार बालकृष्ण का यहां तक का सफर बेहद दिलचस्प रहा है। किसी साधु के देश के धनकुबेरों की सूची में शामिल होने का यह किस्सा दरअसल दशकों पुराना है। पतंजलि की शुरुआत और बाबा रामदेव और बालकृष्ण की मुलाकात इसके अहम पहलू हैं। नेपाली मूल के माता-पिता की संतान आचार्य बालकृष्ण बचपन से ही आध्यात्मिक विचारों से प्रभावित थे।

हरियामा के रेवाड़ी के रहने वाले बाबा रामदेव 1980 के दशक के आखिरी दिनों में राज्य के ही जींद जिले में एक गुरुकुल में रहने लगे थे। यह गुरुकुल आचार्य धर्मवीर संचालित करते थे। यहीं पर बाबा रामदेव ने लोगों को योग सिखाने की शुरुआत की। कहा जाता है कि यहीं पर उनकी मुलाकात आचार्य बालकृष्ण से हुई थी। फिर दोनों का साथ हमेशा के लिए हो गया। योग से लेकर बिजनेस तक दोनों लंबे समय से एक दूसरे का साथ काम कर रहे हैं। 1993 में बाबा रामदेव ने हरिद्वार जाने का फैसला लिया तो उनके साथ जाने वाले लोगों में आचार्य बालकृष्ण भी थे। हरिद्वार पहुंचकर बाबा रामदेव ने कृपालु आश्रम में योग का प्रशिक्षण देना शुरू किया था। यहां स्वामी शंकर देव बाबा रामदेव के गुरु बने थे।

इसके बाद 1995 में ही बाबा रामदेव ने दिव्य फार्मेसी की शुरुआत की। इसमें उनके सहयोगी थे आचार्य बालकृष्ण। इसके बाद दोनों ने मिलकर 2006 में पतंजलि आयुर्वेद की स्थापना की थी। इसके बाद दोनों ने मिलकर हर्बल उत्पादों के क्षेत्र में पतंजलि आयुर्वेद को स्थापित करने की कोशिशें शुरू कर दीं। आचार्य बालकृष्ण ने एक बार बताया था कि 50-60 करोड़ रुपये का पर्सनल लोन लेकर कारोबार की शुरुआत की गई थी। हालांकि बैंक में तब उनका कोई पर्सनल अकाउंट नहीं था।

फिलहाल करीब 10,000 करोड़ रुपये के टर्नओवर वाले पतंजलि ग्रुप ने डाबर, हिंदुस्तान यूनिलीवर जैसी दिग्गज एफएमसीजी कंपनियों को कड़ी टक्कर दी है। पतंजलि ने इस बीच अपनी एक आईटी कंपनी भी शुरू की है, जिसने हाल ही में ऑनलाइन ऐप लॉन्च किया है। इस ऐप को OrderMe के नाम से लॉन्च किया गया है और इसके जरिए कोई भी व्यक्ति पतंजलि के सामान के लिए ऑनलाइन ऑर्डर कर सकता है।