केंद्र सरकार ने बुधवार (29 जून) को सातवें वेतन आयोग की रिपोर्ट को मंजूरी दे दी है। जनवरी में सरकार ने कैबिनेट सेक्रेटरी पीके सिन्हा के अध्यक्षता में पैनल का गठन किया था। इस पैनल का काम सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों पर काम करना था। वेतन आयोग लागू होने पर 50 केंद्रीय कर्मचारियों और 58 लाख पेंशनर्स को लाभ होगा। सिन्हा कमिटी ने इन सिफारिशों पर रिपोर्ट सौंप दी है। इसमें की गई सिफारिशें इस प्रकार थीं:
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वेतन आयोग ने वेतन, पेंशन और भत्तों में कुल मिलाकर 23.55 प्रतिशत की वृद्धि का प्रस्ताव रखा था। इससे राजस्व पर 1.02 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ आएगा जो कि कुल जीडीपी का 0.7 प्रतिशत है।
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1.02100 लाख करोड़ में से 39100 करोड़ रुपये वेतन, 29300 करोड़ रुपये अलाउंस और 33700 करोड़ रुपये पेंशन पर खर्च होंगे।
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इनमें से 73650 करोड़ रुपये आम बजट और 28450 करोड़ रुपये रेलवे बजट वहन करेगा।
पैनल ने मूल वेतन में 14.27 प्रतिशत बढ़ोत्तरी की सिफारिश की है। यह सिफारिश 70 साल में सबसे कम हैं। छठे वेतन आयोग में 20 प्रतिशत बढ़ोत्तरी की सिफारिश की गर्इ थी।
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न्यूनतम वेतन 18000 रुपये प्रति माह रखने को कहा गया है। वर्तमान में न्यूनतम वेतन 7000 रुपये प्रति महीने हैं।
अपेक्स स्केल में अधिकतम वेतन 2.25 लाख रुपये प्रति माह और कैबिनेट सेक्रेटरी और उनके समकक्ष अधिकारियों का वेतन 2.50 लाख रुपये प्रति माह करने की अनुशंषा की गई है। वर्तमान में इनका वेतन 99 हजार प्रति माह है।
वेतन भत्तों में पारदर्शिता लाने के लिए पैनल ने वर्तमान पे बैंड और ग्रेड पे सिस्टम को पे मेट्रिक्स से बदलने का प्रस्ताव रखा है।
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