7th Pay Commission, 7th CPC Latest News Today 2019: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के मौजूदा कार्यकाल में केंद्रीय कर्मचारियों को भले ही सातवें वेतन आयोग के लिहाज से बड़ी खुशखबरी न मिली हो। पर दोबारा एनडीए को शानदार जनादेश के बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि मोदी सरकार 2.0 इस बार इन कर्मियों को निराश नहीं करेगी। दरअसल, ये कर्मचारी लंबे समय से सरकार के कोर सपोर्टर्स या यूं कहें वोटर्स माने जाते रहे हैं। ऐसे में सरकार इस कार्यकाल में उन्हें निराश नहीं करना चाहेगी। सूत्रों की मानें तो मोदी सरकार के पास केंद्रीय कर्मचारियों के मसले हल करने के लिए एक खास फॉर्मुला है।

बता दें कि बीजेपी ने वादा किया था कि वह सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को अगस्त 2016 से लागू करेगी। यह चीज प्रभाव में जनवरी 2016 से होनी थी, जिससे लगभग एक करोड़ कर्मचारी लाभान्वित होते। इसके अलावा पार्टी ने त्रिपुरा में भी सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करने के लिए कहा था। वेतन आयोग की सिफारिशों के तहत वेतन में 15 फीसदी बढ़ोतरी की मांग पर अधिक विचार नहीं किया गया, जबकि केंद्रीय कर्मचारी बेसिक मिनिमम सैलरी 18 हजार से 26 हजार रुपए किए जाने की भरसक मांग करते रहे। केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों में कार्यरत लगभग 47 हजार कर्मचारी अभी भी सिफारिशों के तहत सरकार के फैसले का इंतजार कर रहे हैं।

बताया जाता है कि सरकारी खजाने पर अतिरिक्त बोझ की वजह से मोदी सरकार ने सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें व्यवस्थित तरीके से लागू करने का निर्णय लिया। आगे लोकसभा चुनाव के चलते आदर्श आचार संहिता लागू कर दी गई, जिसकी वजह से केंद्रीय कर्मचारियों को लेकर किसी प्रकार का बड़ा ऐलान न किया जा सका।

वैसे 2016 में केंद्र ने केंद्रीय कर्मचारियों (डेप्यूटेशन पर) को दिए जाने वाले भत्ते को दो हजार से बढ़ाकर 4500 रुपए कर दिया था। सरकार ने इसके अलावा मिनिमम सैलरी को बढ़ाकर 18 हजार रुपए भी किया था। वहीं, अक्टूबर 2017 में केंद्र ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) और यूजीसी पोषित संस्थानों से संबद्ध लगभग आठ लाख शिक्षकों की तनख्वाह बढ़ा दी थी, जिनके बाद उन कर्मियों को 10 हजार 400 से 49 हजार 800 रुपए के बीच वेतन मिलने लगा।

इससे पहले, बीजेपी के एक सूत्र के हवाले से कुछ रिपोर्ट्स में कहा गया, “सत्ता वापसी पर बीजेपी Aykroyd फॉर्मुला अपना सकती है।” सूत्र ने दावा किया कि इस फॉर्मुले के जरिए लंबे समय से चली आ रही केंद्रीय कर्मचारियों की मांगों के मसले को आसानी से सुलझाया जा सकता है। वैसे, सरकार इस फॉर्मुले की कई मौकों पर चर्चा भी कर चुकी है। जस्टिस एके माथुर ने उसी बीच स्पष्ट भी किया था कि सरकार को केंद्रीय कर्मचारियों की तनख्वाह की समीक्षा प्राइस इंडेक्स में उपलब्ध डेटा के आधार पर करनी चाहिए। एक्सपर्ट्स की मानें तो अगर यह फॉर्मुला लागू हो जाता है, तब सीधे तौर पर इससे भारी संख्या में केंद्रीय कर्मचारी लाभान्वित होंगे।