7th Pay Commission: सरकारी कर्मचारियों को नए साल के एडवांस तोहफे के तौर पर नरेंद्र मोदी सरकार ने दिसंबर 2018 में न्यू पेंशन स्कीम (एनपीएसः नेशनल पेंशन स्कीम) में संशोधन का फैसला लिया था। इस कदम का मकसद न केवल अंशदान में बढ़ोतरी करना था, बल्कि टैक्स में भी छूट मुहैया कराना था। हालांकि, अभी तक इस संबंध में किसी प्रकार का आधिकारिक ऐलान नहीं किया है।

खबरें हैं कि सरकार आगामी हफ्ते की शुरुआत में इस संबंध में अधिसूचना जारी कर देगी, जिसमें नए फीचर्स का जिक्र होगा। एक बिजनेज चैनल की वेबसाइट से बातचीत में इंडियन पब्लिक सर्विस एंप्लाइज फेडरेशन के अध्यक्ष वीपी मिश्रा ने बताया, “सरकार ने पेंशन योजना का नाम नहीं बदला है। उसका नाम अभी भी न्यू पेंशन स्कीम है। हालांकि, योजना में कुछ सुधार किए जाएंगे।”

कहा जा रहा है कि इसमें कुछ फेरबदल सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के तहत होंगे। उदाहरण के तौर पर पिछले महीने वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि आयोग ने सरकारी कर्मचारियों के लिए एनपीएस नियमों की जांच कराने के लिए सचिवों की कमेटी से सिफारिश की है। सरकार ने इसके बाद मंत्री स्तर पर सलाह-मशविरा भी किया था, जिससे सचिवों के पैनल ने अपनी सिफारिशें आगे बढ़ाई थीं। वेतन आयोग ने यह भी सिफारिश की थी कि एनपीएस के तहत आने वाली निकासी टैक्स फ्री हो। जानिए और क्या होंगे फेरबदलः

– एंप्लाई पेंशन में बेसिक सैलरी पर सरकार अपना कंट्रीब्यूशन 10 फीसदी से बढ़ाकर 14 फीसदी कर देगी।

– लोगों का कंट्रीब्यूशन 10 फीसदी (बेसिक सैलरी से) ही रहेगा। लेकिन यह रकम आयकर अधियिनियम के सेक्शन 80 सी के तहत आने वाली कर योग्य आय से मुक्त होगी।

– मौजूदा नियमों के मुताबिक, कर्मचारी फंड से 40 फीसदी से अधिक रकम निकाल सकते हैं, जबकि शेष 60 फीसदी रकम एन्युटी में तब्दील हो जाती है। आगे यह मासिक पेंशन के रूप में दी जाती है। संशोधन के बाद कर्मचारी रिटायरमेंट के वक्त 60 फीसदी रकम निकाल सकेंगे।

मिश्रा के मुताबिक, नई पेंशन योजना के तहत कर्मचारियों को आखिरी सैलरी का लगभग 50 फीसदी हिस्सा पेँशन के रूप में रिटायरमेंट के बाद मिलेगा। वहीं, इंडियन पब्लिक सर्विस इंप्लाइज फेडरेशन की तरफ से कहा गया, “सरकार इस संबंध में अगले हफ्ते तक आधिकारिक अधिसूचना जारी कर सकती है। अगर सरकार जनवरी तक इसे लाने में नाकाम रहती है, तब कर्मचारी राष्ट्रव्यापी आंदोलन और प्रदर्शन कर सकते हैं।”