7th Pay Commission: साल 2019 न केवल महाराष्ट्र सरकार के कर्मचारियों के लिए खुशखबरी लाया बल्कि यह राज्य के कुछ और स्टाफ कर्मचारियों के लिए भी सौगात लेकर हाजिर हुआ। फीस रेग्युलेट्री कमेटी (टेक्निकल) ने सात संस्थानों में फीस बढ़ाने को लेकर मंजूरी दे दी है। माना जा रहा है कि इस फैसले से इन संस्थानों के एकैडमिक स्टाफ (शिक्षकों) की सैलरी में भी इजाफा होगा, जबकि सात अन्य संस्थानों को कमेटी ने इस बाबत हरी झंडी देने से इनकार कर दिया।
दरअसल, कुल 14 संस्थान इस मसले को लेकर गुजरात हाईकोर्ट पहुंचे थे। वहां उन्होंने फीस रेग्युलेट्री कमेटी (एफआरसी) के उस फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें संस्थानों में फीस बढ़ाने को लेकर मना कर दिया गया था। कमेटी के मुताबिक, 21 मई 2015 को एफआरसी द्वारा जारी फीस से संबंधित आदेश को 14 संस्थानों ने माननीय गुजरात हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। वे कमेटी द्वारा तय किए गए फी-स्ट्रक्चर से संतुष्ट नहीं थे।
एफआरसी ने इसी पर पुनःविचार के बाद कहा था कि उसे सात संस्थानों के फीस स्ट्रक्चर में फेरबदल की कोई जरूरत नहीं दिखाई दी थी, जबकि कमेटी ने शेष सात संस्थानों के फीस स्ट्रक्चर को नए सिरे से निर्धारित किया। एफआरसी (टेक्निकल) के सदस्य जैनिक वकील ने एक अंग्रेजी अखबार से कहा, “कमेटी ने फीस बढ़ाने को मंजूरी देने से पहले सभी 14 कॉलेजों का वित्तीय डेटा जाना-समझा और सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को लेकर उनकी चिंताओं पर गौर किया था।”
आदेश में कहा गया था कि निरमा विश्वविद्यालय के इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट की फीस 2018-19 और 2019-20 के लिए 4,76,000 रुपए तय की गई है, जबकि भावनगर के ज्ञान मंजरी इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी की फीस 2019-20 के लिए 70 हजार रुपए तय की गई। 2018-19 में यह 66 हजार रुपए थी। चूंकि इन शैक्षणिक संस्थानों ने सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के तहत फीस बढ़ोतरी की मांग की थी, लिहाजा एफआरसी की मंजूरी से आने वाले समय में संस्थानों के टीचिंग स्टाफ के लिए भी अच्छी खबर आ सकती है।