कोरोना काल में भले ही देश भर के तमाम राज्यों और केंद्र सरकार के कर्मचारियों को करारा झटका लगा है, लेकिन हरियाणा के करीब 1.4 लाख कर्मचारियों को बड़ी सौगात मिल सकती है। सूबे की मनोहर लाल खट्टर सरकार राज्य में पुरानी पेंशन स्कीम को बहाल करने पर विचार कर रही है। इसी उद्देश्य के चलते सरकार ने सभी विभागों से पुरानी पेंशन स्कीम लागू करने को लेकर रिपोर्ट मांगी है और पूछा है कि आखिर इस स्कीम को लागू करने से कितना आर्थिक बोझ बढ़ेगा। यदि सरकार की ओर से इस फैसले को लागू किया जाता है तो 1 जनवरी, 2006 के बाद सेवा में जुड़ने वाले राज्य के 1.4 लाख सरकारी कर्मचारियों को इससे सीधा लाभ होगा।
कर्मचारियों के संगठन सर्व कर्मचारी संघ ने कई बार इस संबंध में मांग उठाई थी। सरकार के एक शीर्ष अधिकारी ने बताया कि मुख्य सचिव ने तमाम विभागों से इस प्रस्ताव को लागू करने के असर को लेकर रिपोर्ट मांगी है। पिछले ही दिनों सर्व कर्मचारी संघ ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई मीटिंग में पुरानी पेंशन स्कीम को बहाल करने का प्रस्ताव सौंपा था।
कर्मचारी संगठन के प्रेसिडेंट सुभाष लांबा ने कहा कि पुरानी पेंशन स्कीम को बहाल करने की मांग वाला प्रस्ताव संगठन ने बीते महीने सरकार को भेजा था, जिस पर उसने अलग-अलग विभागों से रिपोर्ट मांगी है और प्रस्ताव पर चर्चा की जा रही है।
लांबा ने कहा कि 1 जनवरी, 2006 के बाद से नई पेंशन स्कीम के तहत राज्य सरकार कर्मचारी के 10 फीसदी मासिक वेतन के बराबर योगदान देती है। यह राशि सालाना 680 करोड़ रुपये होती है और इसे फाइनेंशियल मार्केट में लगाया जाता है, जिससे बड़े कॉरपोरेट घरानों को ही फायदा होता है। उन्होंने कहा कि यदि पुरानी पेंशन स्कीम को लागू किया जाता है तो इससे कर्मचारियों और सरकार दोनों को ही फायदा होगा। लांबा ने कहा कि यह खुशी की बात है कि सरकार एक बार फिर से पुरानी पेंशन स्कीम को लागू करने पर विचार कर रही है।