कोरोना वायरस के संकट से निपटने के लिए लागू किए गए लगभग तीन महीने के लॉकडाउन ने देश के ज्यादातर राज्यों की कमर तोड़ दी है। राज्य सरकारों के रेवेन्यू में इसके चलते बड़ी गिरावट देखने को मिली है और इस संकट से निपटन के लिए सरकारों ने सरकारी नौकरियों में भर्ती पर कुछ वक्त के लिए रोक लगाने का फैसला लिया है। हाल ही में ओडिशा सरकार ने भी स्वास्थ्य विभाग को छोड़कर अन्य किसी भी डिपार्टमेंट में दो साल तक के लिए कर्मचारियों की भर्ती न करने का फैसला लिया है। आइए जानते हैं, अब तक किन राज्यों में सरकारों ने लिया है भर्ती पर रोक का फैसला…

महाराष्ट्र सरकार ने लगाई है रोक: कोरोना संकट से सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य महाराष्ट्र ने कमजोर आर्थिक स्थिति से निपटने के लिए सरकारी नौकरियों में भर्ती पर रोक लगाने का फैसला लिया है। उद्धव सरकार ने मई में ही यह फैसला लेते हुए कहा था कि वह अपने मौजूदा कर्मचारियों को ही सैलरी देने में मुश्किल का सामना कर रही है। राज्य के चीफ सेक्रेटरी अजय मेहता ने इस फैसले की जानकारी देते हुए कहा था कि फिलहाल सरकार का फोकस पब्लिक हेल्थ, मेडिकल एजुकेश और खाद्य आपूर्ति पर है।

छत्तीसगढ़ में नए पदों के सृजन पर रोक: कांग्रेस शासित छत्तीसगढ़ राज्य ने नए पदों के सृजन, ट्रांसफर, विदेश यात्रा, नए वाहनों की खरीद और महंगे होटलों में मीटिंग्स पर रोक लगाने का फैसला लिया है। सरकार का कहना है कि मौजूदा स्थिति में वित्तीय हालात विपरीत हैं और उससे निपटना जरूरी है। राज्य के वित्त विभाग के आदेश के मुताबिक 31 मई के बाद से सीधी भर्ती और किसी क्षतिपूर्ति के तौर पर नौकरी के अलावा कोई भी रिक्रूटमेंट बिना विभाग की अनुमति के नहीं होगी।

हरियाणा के सीएम ने दी सफाई: इस तरह का ऐलान सबसे पहले हरियाणा सरकार की ओर से हुआ था, हालांकि इस विवाद उठने के बाद राज्य के सीएम मनोहर लाल खट्टर ने सफाई देते हुए कहा था कि राज्य में विश्वविद्यालयों में कुछ निश्चित पदों को लेकर ही यह फैसला लागू होगा।

ओडिशा में दो साल के लिए लगी रोक: इस बीच ओडिशा सरकार ने अगले दो साल तक स्वास्थ्य विभाग के अलावा किसी अन्य डिपार्टमेंट में अगले दो सालों तक भर्ती में रोक लगाने का फैसला लिया है। राज्य के वित्त विभाग की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि यदि किसी पद के सृजन की जरूरत होती है तो ऐसा तभी किया जा सकता है, जब उसके समकक्ष कोई पद समाप्त किया गया हो। यही नहीं राज्य में ऐसे पदों को भी खत्म करने का ऐलान किया गया है, जिनमें बीते 5 सालों से किसी की नियुक्ति नहीं है।