मोदी सरकार के कार्यकाल में पिछले पांच साल के दौरान लोगों को इनकम टैक्स के मोर्चे पर खास राहत नहीं मिली है। इस बजट में सरकार ने अमीरों पर टैक्स को बढ़ा दिया है। टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर की अनुसार एक कंसल्टिंग फर्म ईवाई ने पांच काल्पनिक परिवारों की इनकम के आधार पर उनके नफा और नुकसान का जायजा लिया। इसमें टैक्स रेट में बदलाव विशेष रूप से जीएसटी लागू होने के बाद का विश्लेषण किया गया है।

इस विश्लेषण में सामने आया कि अपर मिडिल क्लास को अधिक नुकसान हुआ है। अमीर परिवारों को न सिर्फ अधिक आयकर देना पड़ रहा है बल्कि उन्हें अप्रत्यक्ष कर का बोझ भी पहले से अधिक हो गया है। विश्लेषण के अनुसार सबसे निचले स्तर के करदाता को सबसे अधिक फायदा हुआ है। उसकी कर देयता 2014-15 के मुकाबले घट कर 1/5वां हिस्सा ही रह गई है। 5 लाख की आमदनी वाला परिवार साल 2014-15 में 11,845 रुपये यानी कुल आय का 2.37 फीसदी टैक्स देता था। वहीं बजट घोषणाओं के बाद वित्त वर्ष 2019-20 में उसकी आयकर देयता अब शून्य रह गई।

हालांकि, अप्रत्यक्ष कर में 0.5 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। वित्त वर्ष 2014-15 में अप्रत्यक्ष कर देयता 16,634 रुपये थी जो मौजूदा वित्त वर्ष में 16,880 रुपये है। इस तरह वह पहले 28,479 रुपये कर देता था जो अब घटकर 16,880 रुपये रह गया है। इस तरह से देखें तो इस स्लैब के वेतनभोगियों के टैक्स में पांच साल में 2.3 फीसदी की कमी आई है।

फर्म के अनुसार 9 लाख रुपये सालाना आय वाले परिवार को सबसे अधिक फायदा हुआ है। पांच साल के अंदर उसकी कर देयता में 2.4 फीसदी की कमी आई है। इस स्लैब का परिवार वित्त वर्ष 2014-15 में कुल आय का 13.8 फीसदी कर देता था लेकिन मौजूदा वित्त वर्ष में उसे 11.4 फीसदी ही कर देना पड़ेगा।  इस वर्ग को आयकर में कटौती का फायदा मिला है जबकि अप्रत्यक्ष कर में आंशिक बढ़ोतरी हुई है।

30 लाख रुपये आय वाला परिवार वित्त वर्ष 2014-15 में जहां वह 26.6 फीसदी कर देता था, बजट घोषणा के बाद वित्त वर्ष 2019-20 में उसकी कर देयता घट कर 25.5 रह गई है। यानी उसकी कर देयता में 1.1 फीसदी की कमी आई है। इस विश्लेषण के अनुसार सबसे अधिक नुकसान 60 लाख रुपये सालाना आय वाले परिवार को हुआ है। यह परिवार वित्त वर्ष 2014-15 में आमदनी का 30.8 फीसदी टैक्स देता था जो अब बढ़कर 32.9 फीसदी हो गया है। इस तरह इस परिवार पर कर बोझ में 2.1फीसदी का इजाफा हुआ है।

पांचवें आय वर्ग वाला परिवार जिसकी कुल आय एक करोड़ से अधिक है, उसकी कुल कर देयता (आयकर और अप्रत्यक्ष कर) 1.5 फीसदी बढ़ी है। वित्त वर्ष 2014-15 में जहां उसकी कर देयता 35.2 फीसदी थी, वह वित्त वर्ष 2019-20 में बढ़कर 36.7 फीसदी हो गई। यह वर्ग सबसे अधिक आयकर और अप्रत्यक्ष कर का भुगतान करता है। इस तरह से देखें तो सभी पांच आय वर्ग के परिवारों में से किसी को भी 2.5 फीसदी या उससे ज्यादा कर राहत पिछले पांच सालों में नहीं मिल सकी है।