चार साल का श्रेयांश घर के बाहर खेलने को तरसता है, लेकिन जैसे ही वह बाहर निकलता है, अजनबियों की फुसफुसाहट, हैरानी भरी निगाहें और बच्चे तक अजीब सवाल पूछने लगते हैं। उसकी मां का दिल हर बार टूट जाता है, जब कोई उसके बेटे को देखकर डर जाता है या उससे अजीब तरह पेश आता है।

श्रेयांश एक दुर्लभ स्थिति से जूझ रहा है—उसका दिमाग उसकी खोपड़ी के बाहर बढ़ रहा है। यह सिर्फ एक मेडिकल समस्या नहीं, बल्कि उसके पूरे बचपन पर असर डालने वाली स्थिति बन चुकी है। दूसरे बच्चों की तरह वह स्कूल जाना चाहता है, दोस्त बनाना चाहता है, लेकिन उसकी उपस्थिति पर होने वाली फुसफुसाहट और सवाल उसके मासूम मन को चोट पहुंचाते हैं।

मासूम श्रेयांश को दर्द और जीने के डर से मुक्त करें – दान करें!

डॉक्टरों का कहना है कि अगर समय रहते उसका इलाज नहीं हुआ, तो यह समस्या न सिर्फ गंभीर हो सकती है, बल्कि उसके जीवन को भी खतरे में डाल सकती है। उसके माता-पिता सीमित आय में घर चलाते हैं और इस महंगे इलाज के लिए वे अकेले सक्षम नहीं हैं। वे बस यही चाहते हैं कि उनका बेटा भी बाकी बच्चों की तरह बेझिझक हंस सके, खेल सके, और अपने सपनों को जी सके।

आज, श्रेयांश को आपकी जरूरत है—ताकि वह एक सामान्य बचपन जी सके, बिना डर और झिझक के। आइए, हम सब मिलकर उसके भविष्य को उज्जवल बनाने में उसकी मदद करें!

मासूम श्रेयांश को दर्द और जीने के डर से मुक्त करें – दान करें!

चार साल का श्रेयांश जब भी घर से बाहर निकलता है, सवालों और फुसफुसाहटों की बौछार होने लगती है। कुछ बच्चे डरकर दूर भाग जाते हैं, तो कुछ उसके माता-पिता से पूछ बैठते हैं—”ये ऐसा क्यों दिखता है?” दुकान पर खड़ा दुकानदार हो या पार्क में खेलते बच्चे—हर कोई उसे टकटकी लगाकर देखता है, जैसे वह किसी और ही दुनिया से आया हो।

लेकिन सच यह है कि श्रेयांश एक दुर्लभ स्थिति से जूझ रहा है—इस नन्हे से बच्चे का दिमाग उसकी मस्तिष्क के बाहर बढ़ रहा है। यह न केवल उसकी जान के लिए खतरनाक है, बल्कि उसकी मासूमियत और आत्मसम्मान को भी चोट पहुंचा रहा है।

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“जब भी मेरा बेटा आईने के सामने खड़ा होता है, मेरा दिल बैठ जाता है। मैं देख सकती हूँ कि उसकी मासूम आँखों में सवाल हैं—’मैं बाकी बच्चों जैसा क्यों नहीं दिखता, मां?’ पर मेरे पास इसका कोई जवाब नहीं है। मैं बस उसकी नन्हीं उंगलियां पकड़कर मुस्कुराने की कोशिश करती हूँ, लेकिन अंदर से मैं टूट रही होती हूं।

मुझे डर है कि जैसे-जैसे वह बड़ा होगा, समाज की बेरहम नजरें और बातें उसे अंदर से तोड़ देंगी। जब कोई उसे घूरकर देखता है, जब बच्चे उससे कतराने लगते हैं, तब मैं सोचती हूं—क्या मेरा बेटा कभी खुद को बाकी बच्चों जैसा महसूस कर पाएगा? मैं चाहती हूं कि वह भी बिना किसी डर के स्कूल जाए, हँसे, खेले, और सपने देखे। लेकिन जब हर कोई उसे अजीब कहता है, तो क्या वह सच में अपनी जिंदगी को सामान्य मान पाएगा?” – श्रेयांश की दर्द से जूझती मां।

मासूम श्रेयांश को दर्द और जीने के डर से मुक्त करें – दान करें!

डॉक्टरों का कहना है कि श्रेयांश को जल्द से जल्द सर्जरी की जरूरत है। लेकिन एक मामूली कमाई करने वाले माता-पिता के लिए लाखों रुपये जुटा पाना असंभव सा लग रहा है। अगर इलाज में देरी हुई, तो श्रेयांश का भविष्य अंधकार में डूब सकता है।

आज, यह मासूम सा बच्चा एक नई जिंदगी की उम्मीद लिए खड़ा है। क्या हम उसे अकेला छोड़ देंगे? या फिर उसके सपनों को उड़ान देने के लिए एकजुट होंगे? श्रेयांश को आपके मदद की बेहद जरूरत है—ताकि वह समाज की नजरों में मजबूर नहीं, बल्कि अपने साहस और हौसले से एक मिसाल बन सके।