प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक बार फिर मंत्रिमंडल में फेरबदल करने वाले हैं। मीडिया में खबर चल रही है कि इससे पहले वह मंत्रियों का ‘परफॉर्मेंस रिव्यू’ कर रहे हैं। उन्हें सत्ता संभाले दो साल हो गए हैं। इस दौरान उन्होंने बहुत कुछ किया है। पर जो वादा किया था, उसकी तुलना में किया गया काम काफी कम है। यह बात सही है कि अभी तीन साल बाकी हैं, पर यह भी सच है कि दो साल के आकलन के आधार पर यह पक्के तौर पर कहा जा सकता है कि कई वादे अगले तीन साल में पूरे नहीं किए जा सकते। कुछ वादे तो पूरे किए ही नहीं जा सकते (मसलन, विदेश में जमा भारतीयों का काला धन लाकर हर व्यक्ति के खाते में 15-15 लाख लाने का वादा)। ऐसा ही एक वादा 2022 तक शहरी गरीब लोगों के लिए दो करोड़ घर बनाने का है। वादा पूरा तभी होगा जब हर साल 30 लाख घर बनें। लेकिन एक साल में केवल 1623 बने हैं। 25 जून, 2016 तक कागजों पर जितने घर बनाने को मंजूरी मिल चुकी है उनकी संख्या भी सात लाख ही है। तो फिर, पीएम का ‘परफॉर्मेंस रिव्यू’ हो या नहीं? और हो तो कौन करे? करे तो नतीजा क्या निकलेगा ? पीएम तो पांच साल के लिए चुने जाते हैं।
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ऐसे में बेहतर होगा कि प्रधानमंत्री मंत्रियों के ‘परफॉर्मेंस रिव्यू’ के साथ अपनी प्राथमिकताएं बदलने पर भी ध्यान दें। बुलेट ट्रेन चलवाने के बजाय ट्रेनें सही समय पर चलाने के लिए काम करें। जन-धन योजना के तहत खाते खुलवाने से पहले लोगों को बचत करने लायक बनाएं। शहरों को स्मार्ट बनाने से पहले वहां बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराएं। प्रधानमंत्री ने कई अच्छी पहल की है। शौचालय बनवाने पर जोर और स्वच्छ भारत मिशन अपने आप में अनूठी पहल है। यह सुनने में भले ही छोटा कदम लगता हो, पर इस पर अमल का असर बहुत बड़ा होने वाला है। इस पहल की रफ्तार कायम रहे, यह जरूरी है। पर रफ्तार काफी धीमी है।
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स्मार्ट सिटी मिशन की बात करें तो पिछले साल जून में इसे लॉन्च करते हुए पीएम मोदी ने 2022 तक 100 स्मार्ट सिटी बनाने का लक्ष्य रखा था। लेकिन कोई भी सरकार इसे पांच साल में पूरा नहीं कर सकती। 2022 तक भी यह संभव नहीं है। 2011 में 1405 शहरों के किए गए अध्ययन के मुताबिक केवल 50 फीसदी शहरी इलाकों में पानी सप्लाई के कनेक्शन हैं। शहरों में पानी की सप्लाई केवल तीन घंटों के लिए है, जबकि यह 24 घंटे के लिए होनी चाहिए। जब बात सिवरेज नेटवर्क की आती है तो 30 फीसदी घरों में टॉयलेट नहीं है और 12 फीसदी सिवरेज नेटवर्क से कनेक्ट हैं। वहीं सोलिड वेस्ट मैनेजमेंट सर्विस की बात आती है तो वह 35 फीसदी घरों तक ही है, जबकि 10 फीसदी से काम वेस्ट वैज्ञानिक तरीके से डिस्पोजल किया जाता है।