मंगलवार रात को अंग्रेजी चैनल टाइम्स नाउ के द न्यूजऑवर कार्यक्रम को देखते हुए ऐसा लगा जैसे मैं WWE का ट्यूसडे नाइट स्मैकडाउन देख रहा हूं। दोनों में कई बातें एक समान हैं। द न्यूजऑवर और अर्नब गोस्वामी की खबरों की दुनिया में वही जगह है जो खेलों की दुनिया में WWE और वाइंसे मैकमहॉन की है। दोनों के बीच कई बातें एक जैसी हैं लेकिन जो चीज दोनों को सबसे ज्यादा जोड़ती है वो है, जोर जोर से चीखना-चिल्लाना। WWE ही की तरह टाइम्स नाउ भी हमें पॉपकॉर्न मनोरंजन प्रदान करता है। ये जरूर है कि कई बार उसकी स्टोरीलाइन स्मैकडाउन की तरह कसी और सधी हुई नहीं होती। मेरा ख्याल है ऐसे मौकों पर टाइम्स नाउ को इसका खमियाजा उठाना पड़ता होगा।
मंगलवार रात को अर्नब गोस्वामी के मन लायक मुद्दा मौजूद था। ब्राजील में हुए रियो ओलंपिक 2016 में भारत के उम्मीद से कमतर प्रर्दशन की टीस अभी ताजा थी ऐसे में खिलाड़ियों के दर्द के प्रति सरकारी उपेक्षा से दर्शकों का खून खौलना पक्का था, यानी ऊंची टीआरपी और तेज ट्विटर ट्रेंडिंग। फिर क्या था, #IndiaforJaisha हैशटैग शुरू हो गया।
इस मामले में निर्विवाद तथ्य इस प्रकार हैं- भारतीय मैराथन धाविका ओपी जैशा रियो ओलंपिक के महिला मैराथन में 89वें स्थान पर रहीं। दौड़ पूरा करते ही वो फिनिश लाइन पर गिर पड़ीं और उन्हें डिहाइड्रेशन के कारण अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। उन्होंने दौड़ में कुल दो घंटे 47 मिनट 19 सेकेंड लिए। ये समय उनके निजी सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन से 13 मिनट ज्यादा था। इसके बाद तथ्य धुंधले हो जाते हैं। रियो से लौटने के बाद जैशा ने आरोप लगाया कि मैराथन के दौरान उन्हें पानी और एनर्जी ड्रिंक नहीं दिया गया जिसकी वजह से वो बेहोश हो गईं। उन्होंने दावा किया कि उन्हें 42 डिग्री सेल्सियस की गर्मी में बैगर पानी के दौड़ना पड़ा। एथलेटिक्स फेडेरेशन ऑफ इंडिया (एएफआई) अधिकारियों के अनुसार जैशा को पानी और रिफ्रेशमेंट देने का काम ओलंपिक आयोजकों का था जो उन्होंने किया। अधिकारियों के अनुसार अगर किसी तरह के अतिरिक्त रिफ्रेशमेंट की जरूरत थी तो उसकी व्यवस्था खुद जैशा और उनके कोच को करनी थी। उन ड्रिंक्स को उनकी मौजूदगी में सील किया जाना था जिसे दौड़ के दौरान दिया जाता। एएफआई के अधिकारियों के अनुसार जैशा और उनके कोच अतिरिक्त रिफ्रेशमेंट नहीं चाहते थे। जैशा के साथ मैराथन में भाग लेने वाली कविता राउत ने भी एएफआई के बयान से सहमति जताई है।
दिक्कत ये है कि दुविधा से हिट टीवी कार्यक्रम नहीं तैयार होता। पेशेवर-रेसलिंग की भाषा में कहें तो द न्यूजऑवर को सफल बनाने के लिए एक तरफ भलाई (जैशा और गोस्वामी) और दूसरी तरफ बुराई (एएफआई के अधिकारी) की जरूरत थी। टाइम्स नाउ ने सुनिश्चित किया कि एएफआई के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर (सीओओ) मनीष कुमार और सेक्रेटरी सीके वैल्सन कार्यक्रम में मौजूद रहें ताकि अर्नब की भड़ास ज्यादा न्यायोचित लगे। गोस्वामी के कार्यक्रम में सात और मेहमान थे जो उन्हीं की तरह वाचाल थे। सभी मेहमानों का काम अर्नब के चुटकुलों पर हंसना और अर्नब से संकेत मिलते ही एएफआई के अधिकारियों पर पिल पड़ना था। कुल मिलाकर टीवी कार्यक्रम को बढ़िया बनाने वाले सारे मसाले मौजूद थे। अर्नब देश के सबसे ज्यादा पसंद किए जाने वाले टीवी होस्ट नहीं हैं लेकिन लोगों की नजर में खेल अधिकारियों के बरक्स वो संत ही हैं. यहीं से उनके कार्यक्रम का WWE कनेक्शन शुरू होता है। कार्यक्रम शुरू होने से पहले ही पता होता है कि उसमें क्या होने वाला है लेकिन इसकी सफलता के लिए जरूरी है कि दर्शकों को ऐसा न लगे कि भलाई खतरे में है और वो मुकाबला हार सकती है। और अगर मुकाबले के शुरुआत में दर्शकों को इसके बनावटी होने का भान हो गया तो पूरा कार्यक्रम भहराकर गिर सकता है।
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अगर आप WWE को गंभीर शौकीन हैं तो आपको न्यूजआवर की स्टोरीलाइन में कई जगह झोल नजर आ जाएगी। आपको पहले से पता होता है कि आगे जो आएगा वो काफी बुरा होगा क्योंकि कार्यक्रम के लीड विजुअल में जमीन पर गिरी हुई बेहाल जैशा को दिखाया जा रहा था। ये तस्वीर दिल को छू लेने वाली थी, ये अलग बात है कि वो दो साल पुरानी यानी एशियाई खेलों में 1500 मीटर की दौड़ के बाद की थी। जब अर्नब ने आरोप लगाया कि जैशा को मैराथन के दौरान पानी नहीं दिया गया और उसे बगैर एनर्जी ड्रिंक्स के दौड़ना पड़ा तो इस दो साल पुरानी तस्वीर ने उनकी उतनी मदद नहीं की। रियो की तस्वीरों और इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ एथलेक्टिक्स फेडरेशन के नियमावली से साफ पता चल रहा था कि पानी और रिफ्रेशमेंट देने का काम आयोजकों का था। अर्नब ने कार्यक्रम के दौरान कई बार कहा कि जैशा ने 43 डिग्री सेल्सियस की गर्मी में मैराथन पूरा किया। हालांकि आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार वहां का तापमान 26 डिग्री से 19 डिग्री के बीच रहा था। जब कुमार और वैल्सन ने अपना पक्ष रखना चाहा तो उन्हें चिल्लाकर चुप करा दिया गया। कुमार ने आखिर में अपना माइक्रोफोन बंद कर दिया। उसके पहले वो कमजोर सी आवाज में ये कहते हुए सुने गए कि अर्नब ने उन्हें अपने शो में बुलाया ही क्यों। अर्नब के एक मेहमान ने यहां तक कहा कि वैल्सन को खेल के नियम ही नहीं पता हैं और उन्हें अपना पद छोड़ देना चाहिए। अफसोस इस बात का है कि कार्यक्रम के दौरान अर्नब जो दस्तावेज लहराते देखे गए वो वैल्सन के तर्कों की पुष्टि करते थे लेकिन होस्ट का या किसी अन्य मेहमान ने इस पर ध्यान देना जरूरी नहीं समझा।
जैशा का तर्क था कि उसने रिफ्रेशमेंट की मांग की थी और एएफआई ने उसकी व्यवस्था नहीं की। न्यूजऑवर के दौरान उनके दावे की आसानी से पड़ताल की जा सकती थी। चूंकि टाइम्स नाउ जैशा से पहले ही बात कर चुका था तो उसे पूछना चाहिए था कि वो मैराथन के दौरान कहां-कहां भारत के अपने स्टेशन चाहती थीं। मैराथन के दौरान स्टेशन का निर्धारित आम तौर पर किलोमीटर अंतराल के हिसाब से किया जाता है। लेकिन मंगलवार के कार्यक्रम का मकसद कुछ और था। ये पूरी शिद्दत से कॉलेजों में होने वाली डिबेट के स्तर पर चिपका रहा। कार्यक्रम के दौरान हमें दो बार बताया गया कि खेल अधिकारी मैराथन के दौरान शायद कोपाकबाना समुद्र तट पर ‘महिलाओं’ और ‘बीच वॉलीबाल’ का मजा ले रहे होंगे। खुद कार्यक्रम को उन्माद के स्तर पर पहुंचाने के बाद अर्नब को इस बात पर ज्यादा हैरानी नहीं हुई होगी कि एक दर्शक ने एएफआई के सीओओ को ‘हराम….’ कहा।
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करीब एक घंटे के कार्यक्रम के बाद ये साफ नहीं हुआ कि पूरे शो का हासिल क्या रहा? हमें इस पूरे मामले के बारे में शायद ही कोई नई जानकारी मिली। अगर चीख-चिल्लाहट से हमारा ज़हन थोड़ा कुंद हो गया हो तो मैं नहीं कह सकता। शो के बाद से ही एक सवाल मेरे दिमाग़ में बार-बार आ रहा है, आखिर अर्नब लोगों को अपने शो में बुराई के प्रतीक के रूप में आने के लिए कैसे राजी कर लेते हैं? WWE में बुराई के रूप में शामिल पहलवानों को कम से कम स्वास्थ्य लाभ तो होता है। अर्नब के न्यूजऑवर में कान के पर्दों पहुंचने वाले नुकसान के अलावा शायद ही कुछ मिलता होगा।
ओपी जैशा पर मंंगलवार को प्रसारित अनर्ब गोस्वामी का शो–

