
वन्य जीवन पर गहराता संकट पर्यावरण के साथ-साथ भाषा और संस्कृति को भी नष्ट कर रहा है। कुछ वर्ष पहले…
वन्य जीवन पर गहराता संकट पर्यावरण के साथ-साथ भाषा और संस्कृति को भी नष्ट कर रहा है। कुछ वर्ष पहले…
यह ठीक है कि इस दौर में बेटियों को लेकर समाज की सोच बदल रही है, परिवार बेटियों के पालन-पोषण…
पिछले दिनों नीति आयोग ने स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च बढ़ाने की जरूरत रेखांकित की थी। यह कटु सत्य है कि…
जनसांख्यिकी लाभांश की आड़ लेकर हम जनसंख्या वृद्धि से आंखें नहीं मूंद सकते। हमें कुछ ऐसी नीतियां बनानी होंगी, जिससे…
हमारा स्वार्थपरक व्यवहार यह दर्शाता है कि हम अपने मतलब के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। ऐसे…
अनेक जगहों पर अब भी छोटी बच्चियों को घरेलू सहायिका के रूप में काम पर रखा जाता है, तो छोटे…
क्या हम विकास का ऐसा ढांचा नहीं बना सकते, जिससे पहाड़ के निवासियों को स्थायी रूप से फायदा हो? आज…
परिस्थितियां बदलने के बाद बहुत कम लोग सहज और गंभीर रह पाते हैं।
हमारे सभी महापुरुषों ने अपने अंदर के भय को समाप्त करने और निर्भय बनने की सीख दी है।
आम तौर पर डरने वाले इनसान को समाज में मजाक का पात्र बना दिया जाता है लेकिन कई बार डरना…
पुराने जमाने में रिश्तों के बीच किसी तरह का गणित नहीं होता था।