
सड़क दुर्घटनाओं के कारण दुनिया के अधिकांश देशों को अपने सकल घरेलू उत्पाद का करीब तीन फीसद खर्च करना पड़ता…
सड़क दुर्घटनाओं के कारण दुनिया के अधिकांश देशों को अपने सकल घरेलू उत्पाद का करीब तीन फीसद खर्च करना पड़ता…
कमजोर आर्थिक स्थिति में घर की लाडलियों की मान-मनुहार तो दूर की बात, आम जरूरतें भी बोझ बन जाती हैं।…
आखिर क्यों प्रगतिशील सोच वाले परिपक्व आयु के महिला-पुरुष भी अपने मन से चुने संबंधों की जवाबदेही लेने से चूक…
बच्चों में बढ़ते वजन की यही गति रही, तो 2025 तक भारत बच्चों के मोटापे के मामले में दुनिया में…
एक ओर महिलाओं से जुड़ी आपराधिक घटनाओं के आंकड़े बढ़ रहे हैं तो दूसरी ओर कानूनी मोर्चे पर सुनवाई से…
बच्चों का समय लीलने, बालसुलभ सहजता छीनने और स्वास्थ्य के हर पहलू पर दुष्प्रभाव डालने वाले स्मार्टफोन में खोए रहने…
देश में हर साल डेढ़ लाख से ज्यादा लोग सड़क हादसों में जीवन गंवा रहे हैं। घायल होने वालों में…
नई पीढ़ी को सामाजिकता का पाठ पढ़ाने के लिए फुर्सत के इन पलों को अपनों के साथ बिताना आवश्यक है।
मौजूदा वक्त में कामकाजी महिलाएं तकनीकी दुनिया में कार्यबल का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा बन चुकी हैं।
अभिभावकों का अलगाव बच्चों के जीवन को भी अशांत और उलझन भरा बना देता है।
आभासी मंचों पर अजब-गजब करतब करते हुए तारीफें बटोरने का जुनून लोगों की जिंदगी लील रहा है।