Jansatta Sarokar, jansatta Blog,
जनसत्ता सरोकार: ‘घिबली ट्रेंड’ से ‘साड़ी चैलेंज’ तक, आभासी चलनों में खोती निजता और बढ़ते खतरे

विडंबना ही है कि किसी चलन पर चल पड़ने की इस आपाधापी में लोग निजता के अर्थ भी भूल रहे…

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जनसत्ता सरोकार: अब जवाब की बारी है, ‘ऑपरेशन सिंदूर’ से भारत ने दिखा दिया कि वह अब सिर्फ सहने वाला देश नहीं है 

अफसोस की बात है कि पश्चिमी राजनेता और पत्रकारों को अभी तक मालूम नहीं है कि झगड़ा अब कश्मीर को…

Satirist Sudhish Pachauri's column Baakhabar, व्यंग्यकार सुधीश पचौरी का कॉलम बाख़बर
जनसत्ता सरोकार: ‘जिन मोहि मारा, ते मैं मारे’, ऑपरेशन सिंदूर से कांपा पाकिस्तान, सेना का संयम और ड्रोन युद्ध का अचूक प्रहार

पाक पहले ही ‘टकराव का एलान’ कर चुका है। इसे देख एक एंकर कहता है कि भारत को भी अब…

जनसत्ता- दुनिया मेरे आगे
दुनिया मेरे आगे: सामाजिक संरचना का आधार बनती हैं मनुष्यता, परोपकार और सहानुभूति की भावना को पुनर्जीवित करने की आवश्यकता

जब हम सहानुभूति के साथ दूसरों की पीड़ा और आनंद को साझा करते हैं, तो हमारे भीतर भी सुख और…

Jansatta Blog
Blog: जाति तोड़ने के लिए किए गए अनेक प्रयत्न, जाति जनगणना का परिणाम भविष्य के गर्भ में

जब तक सरकार समावेशी आर्थिक नीतियों को अमल में लाकर आर्थिक रूप से कमजोर लोगों तक नहीं पहुंचती, तब तक…

Jansatta Editorial, Jansatta Sampadkiya
संपादकीय: आज मामूली विवाद पर मरने-मारने को उतारू हो जाते हैं लोग, पहले मिल-बैठ कर सुलझा लेते थे मामला

पिछले कुछ वर्षों में जिस तरह लोगों की जीवन शैली बदली है, उसका एक नकारात्मक पक्ष यह भी है। अब…

pakistan, India Pakistan tenson
संपादकीय: मुश्किल स्थिति से गुजर रहा है पाकिस्तान, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग पड़ने की रफ्तार होगी और तेज

पहलगाम में हुए आतंकी हमले और उसके बाद से अब तक जो वस्तुस्थिति सामने रही है, वह दुनिया की नजर…

Jansatta Rajpaat
राजपाट: संघी मोशाय, बीएमसी की बारी, टीवी का सायरन और सतर्कता, अधूरी गारंटी- शर्तें लागू

बीएमसी का चुनाव नजदीक है। पिछले 25 सालों से बीएमसी पर अविभाजित शिवसेना का कब्जा रहा। हालांकि जो शिवसेना शिंदे…

Ration, Delhi News,
दिल्ली आपूर्ति निगम की बड़ी लापरवाही, 4 लाख लोगों को नहीं मिला उनके हक का राशन

डीएससीएससी ने अप्रैल माह का उठान 29 अप्रैल तक भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के गोदामों से किया। जिसके कारण मई…

जनसत्ता- दुनिया मेरे आगे
दुनिया मेरे आगे: महानगरों में गरीब और बेघर लोगों के साथ होने वाला व्यवहार बेहद संवेदनहीन, बच्चों को समझा जाता है सस्ता श्रमिक

मुश्किल यह है कि समाज का जो तबका उपेक्षित बच्चों के लिए कुछ कर सकने की स्थिति में है, वह…

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