जनसत्ता- दुनिया मेरे आगे
दुनिया मेरे आगे: क्यों चुभती है किसी की सफलता? तारीफ से परहेज करने वालों की मानसिकता पर गहरी नजर

दूसरों को सुखी देख दुखी होने की मानसिकता हमें कभी भी सुख, खुशी, आनंद और उल्लास नहीं दे सकती। हमें…

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Blog: जीएम फसलों पर सुप्रीम कोर्ट की नजर, क्या वाकई बढ़ेगा उत्पादन या खतरे में पड़ेगा जीवन?

आनुवंशिक रूप से संशोधित फसलों के परीक्षण अच्छे साबित नहीं हुए। अमेरिका में एक फीसद भू-भाग में आनुवंशिक रूप से…

Jansatta Editorial, Jansatta Sampadkiya
संपादकीय: ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी के बीच भारत-अमेरिका समझौते की उम्मीदें क्यों हैं मजबूत?

अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने भारत दौरे पर प्रधानमंत्री के साथ बातचीत में सकारात्मक रुख दिखाया था। अभी जब दोनों…

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Blog: जब भीतर ही गूंजने लगे चुप्पी, अब केवल बीमारी नहीं सामाजिक संकट भी है अवसाद

राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2024 के अनुसार भारत में लगभग हर बीस में से एक व्यक्ति अवसाद से पीड़ित हो…

जनसत्ता- दुनिया मेरे आगे
दुनिया मेरे आगे: जब नमन भी चुप हो जाए और बंदगी सवाल बन जाए तो समझो आत्मा मांग रही है इंसाफ

जीवन का अर्थ क्या है। न्याय, सत्य और आस्था का हमारे जीवन में क्या महत्त्व है? जब हम अन्याय और…

Jansatta Editorial, Jansatta Sampadkiya
संपादकीय: भाषा की राजनीति में उलझी हिंदी, क्या भविष्य की पीढ़ी भुगतेगी खामियाजा?

हैरत की बात है कि अब महाराष्ट्र में भी सियासी विरोध शुरू हो गया है। वहां अंग्रेजी और मराठी माध्यम…

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संपादकीय: पहलगाम में पर्यटकों पर आतंकी हमला, अमरनाथ यात्रा से पहले डर फैलाने की गंभीर साजिश

पर्यटकों पर गोलीबारी हाल के दिनों में सबसे गंभीर घटना मानी जा रही है, जिसके पीछे मंशा न केवल सुरक्षा…

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Blog: नस्लवाद की जटिल परतें तथा गुलामी, उपनिवेश और जातिवाद के ताने-बाने में उलझा भारत

पिछले पांच सौ वर्षों में नस्लवाद के कई रूप परिलक्षित होते रहे हैं। सवाल है कि नस्लवाद की विचारधारा इतने…

जनसत्ता- दुनिया मेरे आगे
दुनिया मेरे आगे: डिजिटल भंवर के दायरे; ऑनलाइन तो हैं, लेकिन रिश्तों में ऑफलाइन हो चुके हैं हम

यह चिंताजनक है कि धीरे-धीरे हम संवेदनाओं को खोते जा रहे हैं। अगर कोई पास बैठा हो और उदास हो,…

जनसत्ता- दुनिया मेरे आगे
दुनिया मेरे आगे: प्रदर्शन से परे है प्रेरणा, सोशल मीडिया के दौर में इसे भी बना दी गई प्रचार की इकाई

जब हर ओर प्रतिस्पर्धा, प्रदर्शन और मान्यता की होड़ मची है, तो प्रेरणा को भी बाहरी मानकों से जोड़ दिया…

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Blog: प्राचीन पांडुलिपियां सहेजने की चुनौती, भारत में डेढ़ करोड़ हस्तलिपि होने का अनुमान

पांडुलिपियों के रूप में सुरक्षित ग्रंथों के शोध और संग्रह निरंतर होते रहे हैं। वर्ष 1803 में इन ग्रंथों का…

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