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Blog: गांवों में ब्याजखोरी का घना अंधेरा; कर्ज के बदले बेबस लोगों की जमीन और जान हथियाते सूदखोर

सूदखोरी के पीछे मुख्य कारक बैंकिंग पहुंच की कमी, दस्तावेज संबंधी बाधाएं, वित्तीय साक्षरता का अभाव और सरकारी योजनाओं की…

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दुनिया मेरे आगे: झुनझुनों की जगह मोबाइल ने ली, मदारी-भालू हुए गुम; कहां खो गया बचपन का असली मेला?

खेल-खिलौने के बदलते स्वरूप के बीच तरह-तरह के खेल दिखाने और मनोरंजन करने वाले गांव-गली से गायब हो गए हैं।…

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संपादकीय: धार्मिक आस्था या जान का खतरा, हादसों से सबक क्यों नहीं लेता समाज?

अधिकतर मंदिरों, धार्मिक स्थलों के आसपास की जगहें संकरी हैं। जो मंदिर जितना पुराना है, वहां श्रद्धालुओं की आवाजाही के…

जनसत्ता- दुनिया मेरे आगे
दुनिया मेरे आगे: हमारे दिमाग को पसंद नहीं है विरोधाभास, हर बार खुद को सही ठहराना कर देना चाहिए बंद

महत्त्वपूर्ण बात यह कि खुद को हर बार सही ठहराना बंद कर देना चाहिए। बगैर किसी स्पष्टीकरण के चुनाव करने…

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Blog: प्रेम की तलाश या मुनाफे का गणित है ‘नैनोशिप’, तेजी से बदल रहे विवाह और संबंधों के समीकरण

हमारे देश में विवाह सदियों पुरानी परंपरा है, जिसके बिना सब कुछ अधूरा सा महसूस होता है। इतनी समृद्ध परंपरा…

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संपादकीय: दवा कंपनियां की बेलगाम मुनाफाखोरी का खामियाजा भुगतते हैं आम लोग, दबाव में मरीजों को महंगी दवाएं लिखते हैं डाक्टर

चिकित्सा क्षेत्र में पलते इस भ्रष्टाचार की रोकथाम के लिए सरकारें अक्सर कुछ कदम उठाने की घोषणा करती हैं, लेकिन…

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देशभर में हरित घरों के प्रति बढ़ा आकर्षण, आम घरों के मुकाबले कीमत थोड़ी ज्यादा

हरित इमारत आमतौर पर कम ऊर्जा खपत, पानी और अन्य संसाधनों के बेहतर उपयोग के हिसाब से तैयार की जाती…

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संपादकीय: भारत ने पाकिस्तान को पहुंचाया बड़ा आर्थिक आघात, जल्द ही और भी निर्णायक कदम उठाएगी केंद्र सरकार

शुरू में ही यह तथ्य सामने आ गया था कि पहलगाम हमले में लश्कर-ए-तैयबा के एक आनुषंगिक संगठन का हाथ…

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जनसत्ता सरोकार: जात-पात के आंकड़े, 90 साल बाद जनगणना में फिर से जाति की वापसी; 1931 से 2025 तक की पूरी पटकथा

2010 में, जब दशकीय जनगणना नजदीक आई, तो तत्कालीन कानून मंत्री एम वीरप्पा मोइली ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र…

Satirist Sudhish Pachauri's column Baakhabar, व्यंग्यकार सुधीश पचौरी का कॉलम बाख़बर
जनसत्ता सरोकार: बदले के इंतजार में थी जनता, थर्राया मीडिया, कांपा पाकिस्तान… और निकल आई जातियों की सूची

एक चैनल की लाइन है: देश का मिजाज बहुत गुस्से में है, लेकिन होता कुछ नहीं! चैनल गुस्से में उबलते-उबालते…

Rakesh Sinha ka Blog, Ravivari Stambh
जनसत्ता सरोकार: जाति जनगणना पर विवाद क्यों? विपक्षी सोच और सत्ता पक्ष की विकास धारा में अंतर

हमने लोकतंत्र को राजनीतिक दलों का अखाड़ा मान लिया है। फिर तो जनतंत्र राजनीतिक अखाड़े के नियमों से ही चलेगा।…

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