
तनाव का बोझ जब सामान्य नागरिक पर लगातार बढ़ता रहता है तब किसी छोटी सी घटना से व्यक्ति के अंदर…
तनाव का बोझ जब सामान्य नागरिक पर लगातार बढ़ता रहता है तब किसी छोटी सी घटना से व्यक्ति के अंदर…
स्वतंत्रता के पश्चात विज्ञान, तकनीकी और अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में भारत की प्रगति सराहनीय रही है।
सम्मानपूर्ण मानवीय जीवन के नैसर्गिक अधिकार को समझने में सभ्यताओं को कितनी ही शहस्त्राब्दियां लगी होंगी, इसका अनुमान प्रत्येक सजग…
आज के अधिकांश युवाओं के समक्ष प्रतिस्पर्धा का दबाव और जीविकोपार्जन की अनिश्चितता लगातार तनाव देती रहती है। यह स्थिति…
किसी भी क्षेत्र में नीतियों के क्रियान्वयन में सफलता की अपेक्षा तभी की जा सकती है, जब वे गहन, विस्तृत…
दीर्घकालीन परिप्रेक्ष्य में समाधान के लिए शिक्षा की ओर ही जाना होगा। प्रारंभिक वर्षों में सभी बच्चों को सभी पंथों…
भारत में दर्शन और ज्ञान परंपरा, जो वैश्विक भाईचारे की अवधारणा पर विकसित हुई है, ऐसी सभी समस्याओं का समाधान…
गांधी के देश में ही कितने लोकसेवक और चयनित प्रतिनिधि अपरिग्रह के लिए जाने-पहचाने जाते हैं? सामान्य जन से पूछिए…
प्रकृति क्षमा नहीं करती है। मनुष्य को मस्तिष्क, वैचारिक और विश्लेषणात्मक कौशल मिला है और उससे अपेक्षा है कि वह…
स्वामी विवेकानंद ने व्यक्ति और भ्रातृत्व का अर्थ वसुधैव कुटुम्बकम् के संदर्भ में हमें समझाया था: ‘केवल एक ही ईश्वर…
आधुनिक समय में राष्ट्रीय स्तर पर शासन व्यवस्था के लिए जनतंत्र या लोकतंत्र को उन सभी विकल्पों में श्रेष्ठ माना…
मनुष्य और अन्य जीवधारियों में जो सबसे महत्त्वपूर्ण अंतर है, सामान्य रूप से सभी उससे परिचित हैं। यह भी सही…