वे एक वृत्त से त्रिभुज नहीं पहचान सकते। उनमें से एक ने कहा कि एक त्रिकोण में चार किनारे होते हैं और एक अन्य छात्र एक रेखा बार पर दो पूर्णांकों को नहीं दर्शा सका, जबकि कई दो अंकों के गुणा और जोड़-घटना में ही फेल साबित हो गए। कुछ ने ईमानदारी दिखाई और कॉपी में अवाद्तू नाथी (नहीं पता) लिख दिया। कक्षा 10 के इन 500 छात्रों ने मंगलवार को एक सुनवाई के दौरान बेसिक सवालों के ऐसे जवाब दिए। गुजरात सेकेंड्री एंड हायर सेकेंड्री एजुकेशन बोर्ड (GSHSEB) में संदिग्ध नकल के आरोपों की जांच के लिए मुख्यालय में यह सुनवाई हुई। इन छात्रों ने बोर्ड परीक्षा में गणित में 80 फीसदी से ज्यादा अंक हासिल किए हैं, कुछ ने तो बहुविकल्पीय सेक्शन में 90-95 प्रतिशत तक स्कोर किया था। 24 मई को घोषित हुए नतीजों में इन छात्रों में सबजेक्टिव सेक्शन में जीरो स्कोर किया।
अधिकारियों के मुताबिक, सुनवाई के दौरान स्टूडेंट्स ने खुलासा किया कि एक टीचर एग्जामिनेशन हॉल में ठीक CCTV के नीचे बैठकर उन्हें उत्तर बताता था। कुछ ने कहा कि उन्हें क्लासरूम की ‘खिड़की के बाहर से कुछ आवाजें’ सुनाई देती थीं। सुनवाई के दौरान बच्चों के अभिभावक भी मौजूद थे। ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी एम.ए. पठान जो कि पांच बोर्ड मेंबर वाली ज्यूरी के अध्यक्ष भी हैं, ने कहा, ”नंबर जोड़ते वक्त परीक्षकों का ध्यान इस बात पर गया कि बच्चों के सब्जेक्टिव और ऑब्जेक्टिव के नंबर्स, खासतौर पर गणित में बड़ा अंतर था। हमें जब तक कुछ समझ में नहीं आया जब तक हमने कुछ संदिग्ध परीक्षा केन्द्रों की CCTV फुटेज की जांच नहीं की।” इन 500 बच्चों जिनके रिजल्ट रोके गए हैं, वे लम्बाडिया (सबरकांता), चोइला (अरावली) और भीकापुर (छोटा उदयपुर) के तीन परीक्षा केन्द्रों में परीक्षा दे रहे थे।
ये सभी स्टूडेंटृस सरकारी सहायता प्राप्त माध्यमिक स्कूलों के हैं। इन स्कूलों ने पिछले साल की तुलना में ‘बेहतर’ रिजल्ट दिए हैं जिसकी वजह से इन्हें ज्यादा सरकारी सहायता मिलने लगी। सुनवाई के दौरान, अपने पेरेंट्स की मौजूदगी में बच्चों ने कुछ भी गलत करने से इनकार कर दिया। उन्होंने दावा किया कि मार्च में बोर्ड एग्जाम होने के बाद वे सभी जवाब भूल चुके हैं। पैनल ने स्टूडेंट्स को भरोसा दिलाया कि जो सच बोलेंगे, उनका साथ दिया जाएगा। पैनल का यह कदम काम आया है और कुछ बच्चों ने अपनी आंसर शीट में माना है कि उन्हें ‘परीक्षा हाल में खिड़की से किसी से मदद मिली’ थी। एक स्टूडेंट ने लिखा, ”मैं आवाज नहीं पहचान सकता, लेकिन खिड़की के बाहर से किसी ने हमें ऑब्जेक्टिव सवालों के जवाब बताए।”
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एक वरिष्ठ बोर्ड अधिकारी के मुताबिक, ‘हम ज्यादा से ज्यादा कुछ कर सकते हैं तो एग्जामिनेशन सेंटर को कैंसिल कर सकते हैं। बोर्ड के पास ऐसे स्कूलों या टीचर्स के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का अधिकार नहीं है।”