वैदिक ज्योतिष में सूर्य देव को ग्रहों का राजा कहा गया है। साथ ही सूर्य देव लगभग 1 महीने में एक राशि से दूसरी राशि में गोचर करते हैं। साथ ही अगर आपकी कुंडली में सूर्य देव सकारात्मक स्थित हैं, तो आपको सूर्य के गोचर से शुभ फल प्राप्त होगा। वहीं अगर सूर्य देव आपकी जन्मकुंडली में नकारात्मक विराजमान हैं, तो आपको निगेटिव फल मिलेगा। वहीं आपको बता दें कि सूर्य देव सिंह राशि के स्वामी हैं। साथ ही सूर्य देव तुला राशि में नीच के होते हैं और मेष राशि में उच्च के होते हैं। सूर्य देव की चंद्र, मंगल और गुरु के साथ मित्रता है। साथ ही शुक्र और शनि के साथ इनका शत्रुता का भाव है। वहीं सूर्य देव आत्मविश्वास, साहस, प्रतिभा सरकारी नौकरी, लक्ष्य प्राप्ति, मान- सम्मान और पिता के कारक हैं। इसलिए अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में सूर्य देव शुभ स्थित हैं, तो व्यक्ति के अंदर आत्मविश्वास भरपूर होता है। साथ ही उसकी कार्यस्थल पर बॉस के साथ अच्छी पटरी खाती है। वहीं सरकारी कामों में सफलता मिलती है। वहीं नकारात्मक सूर्य व्यक्ति को अहंकारी, उदास, विश्वासहीन, ईर्ष्यालु, क्रोधी, महत्वाकांक्षी, आत्म केंद्रित, क्रोधी आदि बनाता है। जिसके लिए व्यक्ति को ॐ घृणि सूर्याय नमः और ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः मंत्र का प्रतिदिन पाठ करना चाहिए।Read More