WWE देखी है? वर्ल्ड रेसलिंग एंटरटेनमेंट। फाइटिंग शो। दिखने में थुलथुले होते हैं। शरीर भारी भरकंप होता है। ऊपर का मांस नीचे तक लटकता है। लंगोट पहनते हैं। सूमो कहा जाता है इन्हें। वजन इतना ज्यादा कि अगर किसी पर लोट जाएं, तो चपाती ही बन जाए। रोड रोलर भी उनके आगे फेल नजर आएगा। रिंग से लेकर असल जिंदगी तक उनका जलवा होता है। लेकिन यह सब होता कैसे है। जानते हैं ? अगर नहीं, तो आज हम सूमो की जिंदगी से जुड़ी रोचक बताएंगे, जो शायद ही आप जानते होंगे।
सूमो पहलवान जापान से नाता रखते हैं। दरअसल, यहां पर सूमो फाइटिंग राष्ट्रीय खेल है, इसलिए यहां की जनता भी इसमें खासा रुचि लेती है। सूमो का इतिहास काफी पुराना रहा है। WWE में यूकोजुना और रिकिशी सरीखे खिलाड़ियों ने इस जमात को रीप्रेजेंट किया। आलम कुछ ऐसा है कि जापान में सूमो म्यूजिम भी बनाया जा चुका है।
अगर आप सोच रहे हैं कि कोई भी सूमो बन सकता है, तो यह गलतफहमी है। सूमो बनना आसान नहीं है। सूमो बनने के लिए छुटपन से कई बातों पर ध्यान देना पड़ता है। मसलन खाना, एक्सरसाइज, सोना और बाकी चीजें। और सरल हो कर कहें तो शरीर के साथ दिमागी से भी सूमो बनना पड़ता है।
मठ में रहने वाले सूमो दिन में तीन घंटे प्रैक्टिस करते हैं। बचपन से ही इन्हें स्टारडम सिखाया जाता है। शुरुआत से ऑटोग्राफ देने की आदत डलवाई जाती है, ताकि आगे चलकर दिक्कत न हो।
वैसे तो सूमो दिन में दो बार खाना खाते हैं, लेकिन इनकी डायट बेहद हेवी होती है। यह एक बार में तकरीबन 10 हजार कैलोरी का सेवन करते हैं। सामान्य इंसान दिन भर में पांच बार संतुलित आहार ले, तब जाकर वह दो हजार कैलोरी का सेवन करता है। मांस, मछली, चावल और सूप ये बड़े चाव से खाते हैं।
खाने के बाद बाती आती है आराम की। सूमो जब सोते हैं, तो उन्हें ऑक्सीजन मास्क लगाना पड़ता है। पता है क्यों ? दरअसल, ज्यादा खाना खा लेने से इन्हें सांस लेने में परेशानी होती है। ऐसे में सोते समय ऑक्सीजन मास्क लगाना लाजिमी हो जाता है। यह आठ घंटे की नींद लेते हैं।