पशु अधिकार संगठन ‘पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनीमल्स’ (पेटा) ने अमेरिकी कोर्ट में बंदर को न्याय देने के लिए एक याचिका दायर की है। याचिका में सेल्फी लेने के बाद मशहूर हो चुके काले लंगूर ‘नारूटो’ को सेल्फी का मालिकाना हक देने की अपील की गई है।
चार साल पहले 2011 में ‘नरूटो’ ने वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर डैविड जे स्लेटर के कैमरे से बटन दबाकर तस्वीर ली थी। उस समय इस नर लंगूर की उम्र 6 साल थी। दरअसल इंडोनेशिया में स्लेटर ने एक कैमरे को ट्राईपॉड पर खुला छोड़ दिया था। तब इस बंदर ने कैमरा उठाकर अपनी और अन्य लंगूरों की तस्वीरें लेनी शुरू कर दीं। इनमें से एक सेल्फी बाद में चलकर काफी चर्चा में रही थी।
स्लेटर और उनकी कंपनी ने नरूटो द्वारा ली गई तस्वीरों पर अपना कॉपीराइट बताते हुए पब्लिश कर दिया था। इसके बाद पेटा ने दावा किया कि इन तस्वीरों पर फोटोग्राफर स्लेटर का नहीं बल्कि नरूटो का ही हक होना चाहिए। पेटा ने पिछले साल सेल्फी के स्वामित्व अधिकार की लड़ाई को लेकर फोटोग्राफर डैविड जे स्लेटर और उसकी कंपनी वाईल्डलाइफ पर्सनेलिटीज लिमिटेड के खिलाफ मुकदमा दायर कर दिया था।
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हालांकि जनवरी में कोर्ट ने लंगूर को यह अधिकार देने से इंकार कर दिया था। अदालत का कहना था कि एक गैर मनुष्य को किसी चीज (लंगूर की सेल्फी) का स्वामित्व अधिकार नहीं दिया जा सकता। मगर मंगलवार को PETA की ओर से दलील दी गई कि व्यवहारिक और व्याख्यातमक सभी प्रकार से वही (नरूटो) इसका मालिक है। पेटा को अब उम्मीद है कि जल्द ही बंदर को इस सेल्फी का मालिकाना हक मिल जाएगा।
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