ट्रांसजेंडर होना कितना कठिन होता है। यह बात सिर्फ LGBTQ (लेस्बियन, गे, बायसेक्सुअल, ट्रांसजेंडर और क्वीर ) समुदाय के लोग समझ सकते हैं। जिंदगी के हर मोड़ पर उन्हें कठिनाईयां झेलनी पड़ती हैं। समाज के ताने, बुरा रवैया और अपमानजनक टिप्पणियां सहनी पड़ती हैं। जिल्लत की जिंदगी जीनी पड़ती है। कुछ ऐसे ही संघर्ष से गुजरना पड़ा था तिब्बत की पहली ट्रांसजेंडर को। 20 साल की तेन्जिन मरीको। जन्म तो लड़के के रूप में लिया था, लेकिन उन्हें उस रूप में जीवन रास नहीं आ रहा था। लड़कियों जैसे रहने में अच्छा लगता था। पिता लड़का बनकर रहने का दबाव डालते। समझ नहीं पा रही थीं कि वह हैं क्या। लड़का या लड़की।

पेशे से मेकअप आर्टिस्ट और डांसर भी। देश की पहली ट्रांसजेंडर का टैग उन्हीं के नाम है। दरअसल, उनकी कहानी बड़ी रोचक है। पहले वह बौध भिक्षु थीं। बीते साल दिल्ली में दोस्त की शादी थी। तब उन्होंने महिलाओं के कपड़े और विग पहनकर डांस किया था। तिब्बती समुदाय में उनका उस डांस का वीडियो तब वी चैट पर खूब वायरल हुआ था।

तिब्बती समुदाय के लोगों ने जब उन्हें पहचाना तो धर्मशाला में उन्हें अपमानजनक टिप्पणियों का सामना करना पड़ा। लोगों का बुरा रवैया झेला। लोग फोलो-मोलो कहते, जो वहां ट्रांसजेंडर के लिए एक अपमानजनक टिप्पणी है। इस वाकये के साल भर बाद वह एक दिन अचानक वह भीड़ के सामने पहुंचती है। हरे रंग के लिबास में। वह दो महीने पहले बौध भिक्षु का जीवन त्याग चुकी थी। साथ ही अपने ट्रांसजेंडर होने के बारे में भी घर-परिवार और समुदाय में बता चुकी थी।

बताती हैं कि शुरुआत में लगा था अंडे-टमाटर पड़ेंगे। लेकिन बॉलीवुड हिट्स पर नाचना शुरू किया, तो हर कोई उनके स्टेप्स पर झूमने लगा। चियर करने लगा। परफॉर्मेंस के बाद उस रात उन्होंने अच्छा महसूस किया। हिमाचल प्रदेश के गांव बीर में जन्मीं मरीको बचपन में मां का मेकअप और कपड़े चुराती थीं। यहां तक कि बौध भिक्षु रहने के दौरान भी वह सजती-संवरती थीं। चेहरा चमकाने को पाऊडर, तो होठ पर दमक लाने के लिए लिप बाम इस्तेमाल करना उन्हें खूब पसंद था।

2014 में बौधु भिक्षु जीवन को अलविदा कहा। पिता कहते थे तुम लड़का पैदा हुए हो, तो उसी की तरह बर्ताव करो। लेकिन मैं लड़की बनकर रहना चाहती थी। तिब्बत की पहली ट्रांसजेंडर के तौर पर जाना जाती हूं, यह सुनकर अच्छा लगता है। इसलिए नहीं कि सेलिब्रिटी बन गई हूं, बल्कि इसलिए क्योंकि मैंने बाकी ट्रांसजेंडर लोगों के लिए राह आसान की है। आज सोशल मीडिया (फेसबुक-इंस्टाग्राम) पर तकरीबन 22 हजार से ज्यादा लोग उन्हें फॉलो करते हैं। तिब्बत में वीमेंस एसोसिएशन और तिब्बती यूथ कांग्रेस भी उन्हें अपने यहां कार्यक्रमों में मेहमान के तौर पर बुलाता है।