28 मई को संसद भवन की ओर मार्च करते समय खिलाड़ियों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया था और उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की। इससे नाराज पहलवानों ने अपने मेडल को हरिद्वार जाकर गंगा में विसर्जित करने का फैसला किया। हालांकि, जब खिलाड़ी हरिद्वार गए तो उन्होंने किसान नेता नरेश टिकैत के कहने पर अपना फैसला बदल लिया।