Rahul Gandhi Speech: राहुल गांधी ने कहा कि जब मैं छोटा था, दिल्ली के चारों ओर जंगल हुआ करता था। जो आज यहां रहते हैं, उन्हें ताज्जुब होगा कि एम्स के बिलकुल बगल से जंगल शुरू होता था। वैसे ही जंगल में हजारों साल पहले 6-7 साल का बच्चा 4 बजे उठकर तपस्या करता था। सुबह वो धनुष उठाकर चलाता था। घंटों और सालों उसने तपस्या की। आस-पास लोगों को पता चलने लगा कि लड़का है। वो लड़का एकलव्य था, वो अपने गुरू के पास गया। उसने कहा कि गुरु द्रोणाचार्य जी मैं सालों से धनुष चलाना सीख रहा हूं। मैंने अपनी शक्ति इसमें डाली है। आप मेरे गुरु बनिए। द्रोणाचार्य जी ने एकलव्य को कहा कि आप ऊंची जाति के नहीं हो। आप ऊंची जाति के नहीं हो। मैं आपका गुरु नहीं बनूंगा, आप यहां से चले जाइए। राहुल गांधी ने कहा- एकलव्य चला गया और उसने फिर से तपस्या शुरू की। कुछ साल बाद द्रोण और पांडव उसी जंगल से निकले। एक कुत्ता भौंक रहा था, कहानी आपने सुनी है, सुना देता हूं। अचानक कुत्ते की आवाज शांत हो गई। द्रोणाचार्य और पांडव गए और उन्होंने देखा कि तीरों के जाल में कुत्ता फंसा हुआ था। मुंह में तीर था, शांत था कुत्ता मगर कुत्ते को चोट नहीं लगी। एकलव्य ने अहिंसा के साथ कुत्ते को शांत किया था। द्रोण ने पूछा किसने सिखाया। उसने जवाब दिया कि मैंने तपस्या की है। आफने मुझे गुरु बनने से मना किया था तो मैंने आपकी मिट्टी की मूर्ति सामने रखी और प्रैक्टिस करके सीखा। द्रोण खुश नहीं हुए। उन्होंने कहा- तुम्हें मुझे गुरु दक्षिणा देनी है। मुझे तुम्हारा हुनर, भविष्य , तुम्हारा अंगूठा चाहिए। एकलव्य ने अंगूठा काटकर दे दिया।